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संजीव कुमार के ठुकराने के बाद अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित ने की थी सुसाइड की कोशिश

Shiv Kumar Mishra
12 July 2020 5:44 PM GMT
संजीव कुमार के ठुकराने के बाद अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित ने की थी सुसाइड की कोशिश
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अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित को एक तरफा प्यार ने गम के सिवाय कुछ न दिया

संजय रोकड़े

प्यार चीज ही अजीब है। ये हर किसी को मिल जाए ऐसा हरगिज नही होता है। आप जिससे प्यार करे वो भी आपसे प्यार में ऐसा भी संभव कहां। पर क्या करो दिल तो दिल ठहरा। यह कहीं भी किसी पर भी आ सकता है। कोई आपसे प्यार करे या ना करे पर आप तो किसी से कर ही सकते हो।

दिल का मामला कुछ ऐसा ही होता है। ये कब रूका है, किसके मनाने से माना है। ये जब किसी पर आ जाए तो उस इंसान की भी नही सुनता है जिसके अंदर ये धडक़ता है। बेशक उसकी भी नही सुनता है। और गर ये प्यार एक तरफा हो तो दिल को दर्द देने के सिवाय कुछ और नही देता है।

हम बात कर रहे है सत्तर से अस्सी के दशक की जानी-मानी अदाकारा सुलक्षणा पंडित की।

आज उनका जन्म है। वे 12 जुलाई 1954 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में जन्मी थी। तीखे नैन नैक्श वाली सुलक्षणा एक एक्ट्रेस होने के साथ-साथ बेहतरीन गायिका भी रही है।

सुलक्षणा ने 9 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। सन 1967 में ही फिल्म के लिए पहली बार गाना गाया था। इसी दौरान उन्हें फिल्मों में एक्टिंग के लिए भी ऑफर मिलने लगे।

इस समय हम सुलक्षणा पंडित की अदाकारी से पहले आपको उसके प्यार की दर्द भरी दांस्ता से रूबरू कराते है। एक खूबसूरत, नेक दिल अभिनेत्री की दर्दनाक दास्तान बेहद असहनीय है।

नारी प्रधान फिल्में बनाने वाले जे ओमप्रकाश की फिल्म अपनापन (1977) से एक खूबसूरत व दिलकश आवाज की मल्लिका सुलक्षणा पंडित चर्चा में आई। आदमी मुसाफिर है आता है जाता है गीत वाली यह फिल्म सुपरहिट रही। इस फिल्म में आदर्श किरदार निभाने वाली सुलक्षणा को असली जिंदगी में आदर्शवाद निभाना भारी पड़ गया।

सुलक्षणा अपनी दूसरी फिल्म उलझन में काम के दौरान अभिनेता संजीव कुमार के साथ प्यार में पड़ गई। गंभीर स्वभाव के संजीव को देखते ही सुलक्षणा को उन पर प्यार आ गया। उस वक्त संजीव कुमार का दिल तो हेमा मालिनी पर आया हुआ था इसके बावजूद सुलक्षणा संजीव कुमार को चाहने लगीं।

यह जानते हुए कि संजीव हेमा मालिनी से बेइंतहा प्यार करते है। हालाकि हेमा संजीव को प्यार नही करती थी। क्योंकि हेमा मालिनी धर्मेंद्र से प्यार करती थी। संजीव हेमा के ठुकराए जाने के बाद भी उसके दीवाने थे लेकिन सुलक्षणा यह सोचकर इंतजार करती रही कि कभी संजीव हेमा द्वारा जख्मी हुए दिल पर मरहम लगवाने उसके पास ही आयेंगे। एक समय ऐसा आया भी था, जब संजीव को हार्ट अटैक हुआ था।

बकौल सुलक्षणा जब संजीव के दिल की बाई पास सर्जरी के बाद वह दोनों दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर गये तो सुलक्षणा ने उस हालत में भी संजीव से शादी का प्रस्ताव रखा। परंतु संजीव कुमार ने यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि वह अपने पहले प्यार हेमा मालिनी को कभी नही भूल सकते है।

आखिर संजीव हेमा से टूटे दिल के साथ 6 नवम्बर 1985 को दुनिया से विदा हो गये। इसके बाद से ही सुलक्षणा भी बेहद अवसाद (डिप्रेशन) में चली गयी थी। अब उसके पास जीने का कोई सहारा नही था। संजीव के गुजर जाने के बाद भी वो उसे हद दर्जे का प्यार करती रही।

सुलक्षणा लंबे समय तक उसके गुजर जाने के बाद भी आसना रही। उसकी याद में पागलों की तरह जिदंगी गुजारती रही। वो संजीव को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती थी। अब वो चल बसा था तो समझ सकते है कि इसके बाद सुलक्षणा की क्या हालत हुई होगी। सुलक्षणा संजीव के जाने के बाद से सदमें से कभी उभर नही पाई।

हालाकि कहा जाता है कि संजीव कुमार ने सुलक्षणा पंडित से कभी प्यार का इकरार नहीं किया लेकिन जानने वाले इस बात मो गलत भी बताते है। पर सुलक्षणा ने संजीव को पाने की अपनी हर कोशिश जारी रखी। सुलक्षणा ने उन्हें हर पल मनाया पर 47 साल की उम्र में जब संजीव कुमार की मौत हुई तो वे ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपना मानसिक संतुलन खो बैठी।

विजयेता पंडित जो कि सुलक्षणा पंडि़त की बहन है, ने एक दफा सुलक्षणा के जिंदा रहने पर मीडिय़ा को बताया था कि दीदी अपने अंतिम समय में बेहद डिप्रेशन में थी। वे पेरेंट्स के चले जाने के बाद तो और भी बिल्कुल अकेली हो गई थी। ऐसी स्थिति में मैं उन्हें अपने घर ले आईं थी। इसके साथ ही बताया कि उस समय दीदी पागल भर नहीं हुई थी।

हालाकि विजयेता ने इस बात का भी खुलासा किया कि संजीव कुमार ने दीदी से शादी भले ही न कि हो लेकिन वे भी दीदी को बेहद चाहते थे। संजीव ने शादी करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उन्हें हार्ट की बीमारी थी। ऐसा हरगिज नही है कि संजीव कुमार ने हेमा मालिनी से प्यार करने के कारण दीदी से शादी करने से मना कर दिया था।

ऐसी कोई बात नहीं थी, संजीव-सुलक्षणा दोनों में बहुत प्यार था। हेमा के मना करने के बाद संजीव कुमार का दिल टूट चुका था। उनकी और सुलक्षणा की तब तक काफी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी वो हर बात सुलक्षणा से शेयर करते रहते थे।

संजीव जब हेमा से अलग हुए तो सुलक्षणा ने खुद ही अपने प्यार का इजहार कर दिया था लेकिन होनी को तो शायद कुछ और ही मंजूर था। हालाकि ये सच है कि संजीव का साथ न मिल पाने के बाद से सुलक्षणा की जिंदगी जैसे उजड़ ही गई थी। यहां तक की सुलक्षणा ने फिल्में करनी छोड़ दी थी और बाहरी दुनिया से भी करीब-करीब नाता ही तोड़ लिया था।

कहते हैं कि सुलक्षणा अपना मानसिक संतुलन खो बैंठी थी और वो किसी को पहचानती भी नहीं थी। इसका खुलासा खुद सुलक्षणा ने 1999 में एक इंटरव्यू में किया था। सुलक्षणा ने कहा था, संजीव के चले जाने के बाद मैं डिप्रेशन में चली गईं। मैंने लगभग खुद को खत्म ही कर लिया था लेकिन भगवान की मर्जी थी कि मैं बच गई और आज भी मैं अपनी जिंदगी जी रही हूं।

इसके साथ ही कहा कि हालाकि मैं अभी भी उस सदमे से उबरी नहीं हूं। मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया है और पूरे दिन मैं सिर्फ अच्छी फिल्में देखती हूं। गाने सुनती हूं ताकि मैं जिंदगी और इस दुनिया का सामना कर पाऊं। वे यह कहने से भी नही चुकी कि संजीव ही मेरा पहला और सच्चा प्यार थे। प्यार में होने के बावजूद संजीव ने मुझसे शादी नही की थी क्योंकि संजीव को हार्ट की प्रॉब्लम थी और इसी के चलते उनने मुझे शादी करने से साफ-साफ मना कर दिया।

ऐसे ही एक दूसरे साक्षात्कार (1999) में सुलक्षणा ने संजीव कुमार से अपने प्यार की पुष्टि करते हुये कहा था कि हम दोनो में बहुत समांनताए थी। वह मेरी तरह कर्क राशि से होने के साथ-साथ बहुत भावुक इंसान थे। हमने इक_े सात फिल्मों में काम किया। मैंने जीवन में सबसे ज्यादा संजीव जी से ही प्यार किया। हेमा जी से उनके लगाव को जानते हुये भी।

मेेरा यह विश्वास था कि समय के साथ सब ठीक हो जायेगा। लेकिन यह हो न सका। संजीव दिल के मरीज होने के बावजूद शराव पीने से पीछे नहीं हटे। यह ठीक वैसा ही था, जैसे किसी जख्म पर तेजाब डालना। एक दिन संजीव के डाक्टर ने मुझसे कहा, सुलक्षणा इस व्यक्ति को छोड़ दो। यह दो वर्ष से ज्यादा नहीं जी पायेगा। परंन्तु मैं अपने दिल का फैसला नहीं बदल सकी।

अब हम बात करते है सुलक्षणा के फिल्मी केरियर की शुरूआत की। सुलक्षणा पंडित ने 1975 में फिल्म उलझन से डेब्यू किया था। इसके बाद उन्होंने हेरा फेरी, अपनापन, संकोच खानदान, थीफ ऑफ बगदाद, चेहरे पर चेहरे, धर्म कांटा और वक्त की दीवार जैसी फिल्में शामिल हैं।

सुलक्षणा को एक के बाद एक फिल्में मिलने लगी। इसके बाद सुलक्षणा ने राज, हेरी-फेरी, अपनापन, खानदान, चेहरे पे चेहरा, धरम संकट, वक्त की दीवार सहित अन्य फिल्मों में काम किया है। 1980 में उनका एक एल्बम जज्बात आया था। 70 से 80 के दशक के बीच की कई नामी फिल्मों में काम किया और इस दौरान बड़े सितारों के साथ काम करने का मौका मिला। इन सितारों में जितेंद्र, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, राज बब्बर, राकेश रोशन और संजीव कुमार का नाम शामिल है।

करीब 50 फिल्मों में उस समय के बेहदरीन अभिनेताओं के साथ काम करने वाली सुलक्षणा पंडित 1975-79 के दौरान हेमा मालिनी, रेखा, नीतू सिंह व रीना राय के साथ सबसे ज्यादा मांग वाली अभिनेत्री रही थी। शबाना आजमी ने एक बार कहा था कि कभी वह भी सुलक्षणा पंडित की तरह गलैमरस दिखना चाहती थी।

सुलक्षणा बहुत अच्छी गायिका भी रही है। बहुत छोटी आयु से ही किशोर कुमार के साथ स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था। यह नई आवाज ऐसी थी जो आशा-लता को चैलेंज कर सकती थी। किशोर और सुलक्षणा में गहरा लगाव भी रहा। सुलक्षणा किशोर कुमार शो का अभिन्न अंग थी। पर किशोर कुमार ने सुलक्षणा को अपनी प्राइवेट संपति बना कर रखा उनके साथ रह कर सुलक्षणा का अपना व्यक्तित्व दबा रह गया।

गायिका के तौर पर लता मंगेशकर के साथ फिल्म तकदीर (1967) के गीत सात समुंदर पार से, गुडियों के बाजार से, से अपना सफर शुरू करने वाली सुलक्षणा ने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, येशुदास, महेन्द्र कपूर व उदित नारायण के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, कल्याणजी आनन्दजी, भप्पी लहरी एवं राजेश रोशन जैसे नामी संगीतकारों के निर्देशन में गीत गाये।

पदम विभूषण से सम्मानित शास्त्रीय संगीतकार पंडित जसराज के परिवार से संबंधित सुलक्षणा पंडित को फिल्म राहगीर के गीत की रिर्काडिंग के समय संगीतकार हेमंत कुमार ने गायन के साथ-साथ अभिनय करने की भी सलाह दी थी। पाश्र्व गायिका के रूप में जब सुलक्षणा ने किशोर कुमार की फिल्म (दूर का राही-1971) में एक गीत गाया-बेकरार दिल, तू गाये जा, तभी सुलक्षणा की आवाज ने सुनने वालों का मन मोह लिया था। जब आती होगी याद मेरी (फांसी); जैसे गीत गाने वाली सुलक्षणा को लता मंगेशकर व आशा भोंसले के एकाधिकार के जमाने में फिल्म संकल्प (1975) के गीत तू ही सागर के लिये फिल्म फेअर पुरस्कार व मियां तानसेन अवार्ड भी मिला। 1986 में सुलक्षणा पंडित ने लंदन के रायल अलर्बट हाल में अन्य कलाकारों के साथ एक कार्यक्रम भी किया।

बता दे कि सुलक्षणा की मां एक अध्यात्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। अपनी मां से मिले साहस के चलते बहुत लंबे समय तक वह साहस नही हारी थी। मां की इसी सीख की बदौलत अकेली ने सात भाई बहनों की परवरिश की। सुलक्षणा ने एक बार कहा था कि मेरे निष्कर्ष के अनुसार अपने परिवार के लिए त्याग करना अच्छी बात है, परंतु इंसान को स्वयं के लिए व अपने अंतिम समय के लिए भी सोचना चाहिए। जिंदगी इतनी छोटी होने के बावजूद हम यह तेरा है, यह मेरा है के लिये क्यों लड़ते हैं? क्यों दूसरों का दिल दुखाते हैं? क्यों एक दूसरे के खिलाफ गंदी राजनीति करते हैं?

ये बयान तब सामने आया था जब सुलक्षणा के पास कार व टेलीफोन तक की सुविधा नही थी। सुलक्षणा ने कहा था कि- मैं इन भौतिक वस्तुओं की चाहत से ऊपर उठ चुकी हूं। जब मुझे कहीं जाना ही नहीं तो कार का क्या करूंगी? प्यार में ठुकराये जाने व अपने परिवार की खातिर त्याग, बलिदान करने के बावजूद समय पर मानसिक व नैतिक सहारा न मिलने से अर्श से फर्श पर आने के बाद भी उपरोक्त उद्गार व्यक्त करने वाले इंसान की नेक नीयती का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

पिता की मौत के बाद भरे- पूरे परिवार का पालन पोषण करने वाली सुलक्षणा 2002 में काम के अभाव में आर्थिक तौर पर कमजोर होती चली गई। उन दिनों अपने जीर्ण शीर्ण व मूलभूत फर्नीचर से भी विहीन फलैट में एक महिला पत्रकार से बात करते हुये सुलक्षणा ने कहा था, मैं जानती हूं कि अब मेरा फिल्मों में लौटना मुश्किल है। परंतु मेरी आवाज अभी भी अच्छी है। अगर लता जी 70 की आयु में इतना अच्छा गा सकती हैं तो मैं 40 के आसपास की होकर क्यों नहीं गा सकती?

अगर मेरे भाई संगीतकार (जतिन-ललित) भी मुझे मौका देते तो मेरा यह हाल न होता। फिर भी मैं अपने भाईयों को मिली प्रसिद्धि व सफलता से बहुत खुश हूं। मुश्किल समय में सुलक्षणा की मदद अभिनेता जितेंद्र ने की थी। सुलक्षणा को आखिरी बार पब्लिकली आदेश श्रीवास्तव की मौत के बाद हुई प्रार्थना सभा में देखा गया था।

जाते-जाते बता दे कि अपनी जिंदगी में सुलक्षणा ने कभी शादी नही की। वे 63 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गई थी।

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