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85 की उम्र में इस एक्ट्रेस पर फिदा हो गए थे दुनिया के महानतम चित्रकार, मरने के बाद भारतीय सरजमीं की खाक भी नसीब न हुई
एम एफ हुसैन अपनी मेहनत के दम पर एक दिन उस मुकाम पर पहुंचे जहां पहुंचना किसी भी पेंटर का ख्वाब होता है। बेशक वो कितने ही बड़े पेंटर बन गए लेकिन सिनेमा से उनका लगाव हमेशा रहा। यही नहीं बॉलीवुड की कई एक्ट्रेस के वो बहुत बड़े प्रशंसक रहे। मकबूल फिदा हुसैन के बारे में बात करना इन दिनों भी खतरे से खाली नहीं है. लेकिन अभिव्यक्ति के खतरे उठाना ही तो पत्रकारिता है. दुनिया के महानतम चित्रकारों में से एक एमएफ हुसैन भारत के सबसे विवादित पेंटर भी हैं. जब मोहम्मद अली जिन्ना के टू नेशन थ्योरी की धर्मांधता में देश के कई हिस्सों से मुसलमान नए बने देश पाकिस्तान चले गए, हुसैन भारत में मॉर्डन ऑर्ट की नींव रख रहे थे. लेकिन 90 साल की उम्र पार करने के बाद हुसैन को अपना देश भारत छोड़ना पड़ा और 2008 में कतर की नागरिकता लेनी पड़़ी।
हिंदू देवी देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाने के कारण हुसैन पर कई हमले हो चुके थे. उन्हें देश छोड़ना पड़ा. ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिंदू ही हुसैन के खिलाफ थे. एमएफ हुसैन द्वारा निर्देशित और तब्बू द्वारा अभिनीत फिल्म मिनाक्षी पर मुस्लिमों ने विरोध शुरू कर दिया. एमएफ हुसैन पर ईशनिंदा का आरोप लगा और उनकी जान एक बार फिर खतरे में आ गई.
ऐसा कहा जाता है कि हुसैन माधुरी दीक्षित को काफी पसंद करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक माधुरी की 'हम आपके हैं कौन (1994)' हुसैन ने 67 बार देखी थी और उनके ऊपर पेंटिंग की पूरी सीरीज भी बना डाली थी। माधुरी के प्रति हुसैन की दीवानगी इससे समझी जा सकती है कि उन्होंने माधुरी को लेकर 2000 में 'गजगामिनी' फिल्म बनाई थी। उस वक्त हुसैन की उम्र करीब 85 साल थी। बता दें कि 'गजगामिनी' का बजट करीब ढाई करोड़ था जबकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर केवल 26 लाख की कमाई की थी।
हुसैन की दीवानगी का आलम सात साल बाद उस समय भी कायम रहा जब माधुरी दीक्षित ने 'आजा नचले' के साथ बॉलीवुड में दोबारा एंट्री मारी। हुसैन उन दिनों दुबई में थे और उन्होंने दोपहर के शो के लिए दुबई के लैम्सी सिनेमा को पूरा अपने लिए बुक करा लिया था।
इसी तरह हुसैन को तब्बू भी काफी पसंद थीं और उन्होंने उनके लिए 'मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज (2004)' बनाई थी। कामयाबी यहां भी नहीं मिली लेकिन जिस तरह का सिनेमा उन्होंने बनाया और रंग दिए, वे हमेशा याद रखे जाएंगे। 2006 में हुसैन एक और हीरोइन को देखकर फिदा हो गए। ये थी 'विवाह' फिल्म की अमृता राव। हुसैन ने फैसला किया कि वे उनकी पेंटिंग बनाएंगे। यही नहीं, अमृता के जन्मदिन पर हुसैन ने उन्हें तीन पेंटिंग गिफ्ट की थीं, जिनकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये बताई जाती है।
भारत के मकबूल फिदा हुसैन को विदेश में क्यों मरना पड़ा
उनका निधन 9 जून 2011 को लंदन में हुआ था मकबूल फिदा हुसैन की निंदा क्यों होती है यह तो आप जानते ही होंगे. उनके ऊपर हिंदू देवियों की नग्न तस्वीरें बनाने का आरोप था. जो उन्होंने बनाई भी थी. मुस्लिम पक्ष ने भी एमएफ हुसैन को कभी पसंद नहीं किया क्योंकि वो कट्टर वहाबी मुस्लिम नहीं थे. लेकिन हुसैन सिर्फ विवादित शख्स भर नहीं थे. वो भारत का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने वाले शानदार पेंटर थे. भारत के सबसे महंगे पेंटर.
भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से सम्मानित किया. राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. जाहिर है देश की कला संस्कृति में खासकर मॉर्डन ऑर्ट में एमएफ हुसैन का योगदान जितना बड़ा है उसका क्रेडिट भी उन्हें नहीं दिया गया क्योंकि अब चर्चा उनसे जुड़े विवादों पर ही होती है.
एमएफ हुसैन एक मुस्लिम होकर हिंदू देवी देवताओं की ऐसी पेंटिंग कैसे बना सकते हैं, विवाद का मूल मुद्दा यहीं था. लेकिन एमएफ हुसैन को सिर्फ मुसलमान मानना उनके साथ ज्यादती है. देश के विभाजन के बाद हुसैन चाहते तो पाकिस्तान जा सकते थे. लेकिन बॉम्बे प्रोग्रेसिव विंग के सदस्य हुसैन नये भारत के निर्माण में बुनियाद की ईंटे डाल रहे थे. निश्चित तौर पर भारत जैसे जटिल समाज में धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप राजनीतिक दखल के बाद काफी बड़ा हो जाता है. हुसैन के जीवन भर के काम को उनकी चंद विवादित पेंटिग तक समेट देना अन्याय है।