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- हमें गर्व है हमारे साथ...
हमें गर्व है हमारे साथ बलात्कार या छेड़छाड़ हुई - तनुश्री दत्ता
महेश दीक्षित
वर्ष 2005 में तनुश्री दत्ता को फिल्मी दुनिया का नया हॉट अवतार माना गया था। तनुश्री ने इस दौरान फिल्म आशिक बनाया आपने में इमरान हाशमी के साथ जिस तरह के इंटीमेट सीन दिए हैं, उन्हें देखकर कोई भी हॉट हो सकता है...उनसे या किसी भी स्त्री/महिला से छेड़छाड़ के लिए प्रोत्साहित हो सकता है या फिर रेप कर सकता है...कहने का अर्थ है उनकी यह हॉट अदाकारी पुरुष समाज को एक तरह से विषय वासना के लिए आमंत्रित करती है. उनकी इन हॉट अदाओं को देखकर लगता है कि जैसे वे कह रही हैं कि हमें गर्व है हमारी साथ छेड़छाड़/बलात्कार हुआ.! तनुश्री पिछले दस सालों से हर किसी के लिए एक भूला-बिसरा नाम बन चुकी थीं।
कुछेक हॉट फिल्में की और फिर कहीं गायब हो गई, लेकिन तनुश्री फिर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से लेकर फिल्मी दुनिया और लोगों की चर्चा-परिचर्चा में हर तरफ छाई हुई हैं। देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों के बीच बौद्धिक जुगाली का विषय बनी हुई हैं। तनुश्री का आरोप है कि अभिनेता नाना पाटेकर ने दस साल पहले फिल्म 'हॉर्न आके प्लीज के सेट पर उनका इस कदर शारीरिक और मानसिक उत्पीडऩ किया, कि उन्हें न केवल अपना करियर, बल्कि देश छोड़कर जाना पड़ा। नाना ने उनके साथ सेट पर बद्तमीजी की, फिर गुंडों से उनकी कार पर हमला करवाया, उन्हें डराया, धमकाया। इसलिए, दस साल बाद ज्यादा अनुभव, साहस और मैच्योरिटी के साथ भारत लौटीं तनुश्री ने फिर से आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोलकर बॉलीवुड को हिला दिया है। तनुश्री के पक्ष में एक प्रतिष्ठित महिला पत्रकार और फिल्म 'हॉर्न ओके प्लीज की एक महिला असिस्टेंट डायरेक्टर के खुलकर सामने आने के बाद तमाम अभिनेत्रियां भी तनुश्री के सपॉर्ट में आगे आईं और मीटू जैसा हैशटैग शुरू हो गया। अब कई बड़े नाम कटघरे में हैं। सब के सब मायानगरी से हैं। इन नामों में फिल्म निर्माता विकास बहल, सिंगर कैलाश खेर, निर्माता गौरंग दोशी और संस्कारी आलोकनाथ शामिल हैं। मोदी सरकार में मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर भी आरोप के दायरे में हैं। इन स्त्रियों के आरोपों में क्या सच है क्या झूठ यह भी अब वक्त ही तय करेगा...? मगर सवाल है कि तनुश्री और तमाम पुरूष पीडि़ताओं ने दस साल बाद यह मुद्दा क्यों छेड़ा? इन्हें अपने चरित्र हनन की याद अब क्यों आई?
मीटू कैंपेन का बहाने बलात्कार को इस तरह परिभाषित किया जा रहा है, जैसे वह अपराध न होकर फिल्म फेयर का अवॉर्ड हो...फैशन शो का हिस्सा हो... जिसे पाने के लिए अब हर कोई स्त्री एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ किए हुए है...
तनुश्री ने अपने साथ हुए कृत्य की अवधि 10 साल तय की, तो आलोकनाथ पर रेप का आरोप लगाने वाली राइटर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर विनता नंदा ने 20 साल.... और मोदी सरकार में मंत्री व पत्रकार एमजे अकबर पर आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों ने 28 साल...।
हालांकि, मुद्दा यह नहीं है कि कोई महिला कैसे किसी पुरुष पर इस तरह के आरोप लगा सकती है...? किसी भी महिला को अपने साथ हुई ज्यादती का विरोध का अधिकार है...उसके सतीत्व का सम्मान होना चाहिए ...पर सवाल है कि आज जो स्त्रियां बलात्कार और यौन शोषण का मुद्दा उठा रही हैं, वे आखिर अब तक क्यों चुप रहीं? उनके आरोप आसानी से हजम होने वाले नहीं हैं। बलात्कार के मुद्दे को लेकर वे आज जिस तरह से सुर्खियां बटोर रही हैं, क्या यही सही नहीं है कि पुरूष समाज के चरित्र पर सवाल उठाने वाली ये स्त्रियां अपनी या किसी और की आकांक्षा-महत्वाकांक्षाओं के लिए पुरुषों का सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करती रही हैं...या इस्तेमाल होती रही हैं...जब आकांक्षा-महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं हुईं, तो स्त्री अस्मिता का सवाल उठाते हुए छेड़छाड़/बलात्कार के आरोप जड़ दिए....मनु स्मृति में कहा गया है कि-यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता यानी जिस देश, समाज में स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं...पर यह वाक्य उन स्त्रियों के लिए है, जिन्होंने समाज के सामने सीता चरित्र प्रस्तुत किया है....उन तनुश्रियों के लिए नहीं, जो स्त्री स्वतंत्रता के नाम पर फिल्म पर्दे पर खुद के चरित्र को नंगा करती हैं और फिर पुरुष के चरित्र पर सवाल उठाती हैं?