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2002 गुजरात दंगा : सुप्रीम कोर्ट ने 14 दोषियों को दी जमानत, सामाजिक-धार्मिक सेवा का दिया आदेश
2002 में हुए गोधरा कांड के बाद हुए सरदारपुरा नरसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट द्वारा आजीवन कारावास सजायाफ्ता 14 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा है कि जमानत के दौरान दोषी गुजरात में प्रवेश नहीं करेंगे और मध्य प्रदेश के इंदौर व जबलपुर में रहेंगे। पीठ ने ये भी शर्त लगाई है कि दोषी जमानत के दौरान समाज सेवा और धार्मिक कार्य भी करेंगे।
पीठ ने इंदौर और जबलपुर जिला विधिक सेवा अधिकारियों को कहा है कि वो सुनिश्चित करें कि दोषी समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में शामिल रहें और उनकी आजीविका के लिए भी काम का प्रबंध किया किया जाए। पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देंश दिए कि वो जमानत के दौरान उनके आचरण पर कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करें और अदालत के आदेश पर अनुपालन रिपोर्ट भी दें। दरअसल दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने पीठ से आग्रह किया था कि उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस दौरान उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। पीठ चाहे तो गुजरात ना जाने और मंदिर आदि में सेवा की शर्त भी लगा सकती है।
गौरतलब है कि अक्तूबर 2016 में गुजरात उच्च न्यायालय ने सरदारपुरा नरसंहार मामले में निचली अदालत से दोषी करार 31 में से 17 लोगों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी थी जबकि अन्य 14 लोगों को बरी कर दिया। इस दंगे में 33 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ ने अपने फैसले में 17 दोषियों की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी थी। सत्र न्यायालय द्वारा पूर्व में दोषी ठहराए गए 31 में से 14 लोगों को पर्याप्त सबूत के अभाव में और गवाहों के विरोधाभासी बयानों के चलते उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। सरदारपुरा मामले में पुलिस ने 76 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से दो की जांच के दौरान मौत हो गई थी और एक नाबालिग था। जून 2009 में कोर्ट ने 73 आरोपियों पर आरोप तय किए थे और उनके खिलाफ सुनवाई शुरू की थी।
निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 31 लोगों को दोषी मानते हुए बाकी 42 लोगों को बरी कर दिया था। बाद में विशेष जांच दल (SIT) ने 42 में से 31 लोगों के बरी किए जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हालांकि उच्च न्यायालय ने 42 में से 31 लोगों को बरी करने के मेहसाणा जिला न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। इसी बीच उच्च न्यायालय ने 17 लोगों को हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा भड़काने और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया था।
उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई साजिश की कहानी को स्वीकार नहीं करने के निचली अदालत के फैसले को भी बरकरार रखा था। अभियोजन पक्ष की तरफ से यह दलील दी गई थी कि अल्पसंख्यकों पर हमला पूर्वनियोजित था जो गोधरा हत्याकांड के बाद साजिश के तहत किया गया था।
गौरतलब है कि सरदारपुरा नरसंहार में भीड़ ने 28 फरवरी और 1 मार्च की रात को एक घर में पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी जिसमें 22 महिलाओं समेत 33 लोगों की जलने से मौत हो गई थी।