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हरियाणा में बीजेपी काटेगी एक तिहाई विधायकों के टिकट, जानिए क्यों?
हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर थामने केलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कम से कम एक तिहाई विधायकों की बलि लेगा। गैरजाट बिरादरी को अपने पक्ष में रखने के लिए नेतृत्व टिकट वितरण में पिछली बार की तरह इस बार जाट बिरादरी को थोक के भाव टिकट नहीं देगी।
लोकसभा चुनाव के बाद अपनी सीट बदलने की कोशिशों में जुटे जाट बिरादरी केमंत्रियों और विधायकों की इच्छा पूरी नहीं की जाएगी। पार्टी कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का पैनल अगले महीने के अंतिम हफ्ते तक तैयार कर लेगी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव केलिए भाजपा में शीर्ष स्तर पर अभी से मंथन शुरू हो गया है। सभी विधानसभा सीटों की प्रारंभिक रिपोर्ट नेतृत्व के पास आ गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी कम से कम एक तिहाई ऐसे विधायकों का टिकट काटेगी, जिनके खिलाफ उनसे संबंधित सीटों पर बेहद नाराजगी है। नेतृत्व नहीं चाहता कि लोगों की विधायकों केखिलाफ नाराजगी की कीमत पार्टी चुनाव में चुकाए। जिनकी रिपोर्ट बेहद खराब आई है उनमें राज्य के तीन मंत्री भी शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव में पार्टी 90 में से जिन 11 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल करने में नाकाम रही, उनमें ज्यादातर जाट और मुस्लिम बाहुल्य सीटें थीं। इनमें दो कद्दावर जाट मंत्रियों कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ की नारनौद और बादली सीट भी शामिल थी। सूत्रों का कहना है कि नतीजे आने के बाद कई विधायक और मंत्री सीट बदलने की कोशिशों में जुटे हैं। हालांकि नेतृत्व ने किसी भी सूरत में इनकी सीटों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
बीते चुनाव में पार्टी ने करीब 28 फीसदी टिकट जाट बिरादरी को दिया था। इनमें से 6 सीटों पर ही पार्टी को जीत हासिल हुई। फिर पार्टी का इरादा वहां गैरजाट वोटों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की है। ऐसे में पार्टी इस बिरादरी केकरीब एक दर्जन नेताओं को ही टिकट देगी। पार्टी की निगाहें अंतर्कलह में डूबी कांग्रेस और इनेलो के नेताओं पर है। बीते चुनाव में पार्टी ने 17 सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट दिया था।