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राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में व्यापक कवरेज के बावजूद, रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सेना के ताज़ा बर्बर हमले जारी हैं
शिव कुमार मिश्र
12 Sep 2017 5:51 AM GMT
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चौधरी आदिल सगीर
पिछले दो हफ़्तों के दौरान, म्यांमार के सैनिकों ने क़रीब 4 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया है और 3 लाख से भी अधिक रोहिंग्या जान बचाकर बांग्लादेश भाग चुके हैं. फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, रोहिंग्या कार्यकर्ता एवं लेखक नी सान लूईन का कहना है कि म्यांमार सरकार, नस्लीय सफ़ाया कर रही है. हम अराकान (रखाइन) प्रांत के मूल निवासी हैं, लेकिन सरकार हमें यहां से भगाना चाहती है.
लूईन के मुताबिक़, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान, म्यांमार के सैनिकों और बौद्ध चरमपंथियों ने 4 हज़ार से भी अधिक रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या कर दी है. उन्होंने बताया कि म्यांमार के सैनिक बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों पर रहम नहीं कर रहे हैं। सैनिकों ने केवल एक ही गांव में 1500 पीड़ित मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया. लुईन का कहना है कि हमारे पास केवल 4000 लोगों के मारे जाने की सूचना है, हालांकि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
रोहिंग्या सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक़, जो लोग अभी तक अपनी जान बचाकर भागने में सफल नहीं हो सके हैं, भूखे और प्यासे मर रहे हैं, इसलिइ कि सैनिक उन्हें कहीं जाने और कुछ ख़रीदने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. सरकार को उन्हें मारने के लिए अलग से कोई प्रयास करने की ज़रूरत नहीं है, कुछ दिन में वे ख़ुद ही मर जायेंगे. रखाइन से बांग्लादेश की ओर जान बचाकर भागने वालों का कहना है कि सीमा तक पहुंचने में 7 से 8 दिन लग जाते हैं, भूख और प्यास के कारण कितने ही बच्चे रास्ते में दम तोड़ देते हैं.
लुईन से जब यह पूछा गया कि मुस्लिम देशों ने रोहिंग्या मुसलमानों की मदद के लिए अब तक किया कार्यवाही की है तो उन्होंने कहा, अगर मुस्लिम देश इसी तरह रोहिंग्या मुसमलानों पर होने वाले अत्याचार की निंदा में बयान जारी करते रहे, तो स्थिति में कोई बदलाव होने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस्लामी सहयोग संगठन के 57 सदस्य हैं, अगर यह सब म्यांमार पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दें तो म्यांमार सरकार झुकने पर मजबूर हो जाएगी.
लुईन का कहना है कि एक ओर सरकार और सेना रोहिंग्या मुसलमानों का नस्लीय सफ़ाया कर रही है और दूसरी ओर दूसरे ग़ैर मुस्लिम समुदायों और जातियों को रखाइन में लाकर बसा रही है. और उन्हें संपूर्ण नागरिक अधिकार प्रदान कर रही है.
बर्मा सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर सामूहिक नरसंहार करने पर जो भी खामोश है. वह सब इस इंसानियत के क़त्ल में शामिल है इंसान कहलाने के लायक नहीं . हम सब को , जाति, धर्म,वर्ग,नस्ल, से ऊपर उठ कर मानवता के नाते इस कत्ले आम का विरोध करना चाहिये.
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