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14 साल के बच्चे को सजा-ए-मौत, इलेक्ट्रिक चेयर से कम था कद तो किताबों पर बिठाकर दिया करंट

Shiv Kumar Mishra
27 Jan 2020 3:57 AM GMT
14 साल के बच्चे को सजा-ए-मौत, इलेक्ट्रिक चेयर से कम था कद तो किताबों पर बिठाकर दिया करंट
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जॉर्ज को इलेक्ट्रिक चेयर पर बैठाया गया. उसकी लंबाई-चौड़ाई दोनों ही कुर्सी के हिसाब से कम थी. तब उसे किताबों के मोटे ढेर पर बैठाया गया और फिर बिजली का झटका लगाया गया.

निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 1 फरवरी को फांसी की सजा दी जानी है. इस बीच एक दोषी ने घटना के समय अपने कमउम्र होने की भी दलील दी, जो कोर्ट ने खारिज कर दी. एक और दोषी को घटना के वक्त नाबालिग होने की वजह से पहले ही छोड़ा जा चुका है, जबकि माना जाता है कि रेप की प्लानिंग उसी ने की थी. दूसरी ओर एक देश ऐसा भी है, जहां सिर्फ 14 साल के लड़के को सजा-ए-मौत दी गई थी. घटना साल 1944 की है, जब अमेरिका में एक अश्वेत लड़के को संदेह की बिना पर मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि साल 2014 में केस दोबारा खोला गया और तब बच्चे को बेगुनाह माना गया.

मन को दहला देने वाली ये घटना उस दौर की है, जब अमेरिका में रंगभेद काफी था. अश्वेत लोगों से हर चीज में भेदभाव हुआ करता था. तभी ये वाकया घटा. मार्च 1944 में जॉर्ज जूनियस स्टिनी अपनी बहन के साथ घर के सामने खेल रहा था, उसी वक्त दो श्वेत बच्चियां फूल ढूंढती हुई वहां पहुंची और जॉर्ज से भी इस बारे में बात की. मदद के लिए 14 साल का जॉर्ज उनके साथ गया जिसके बाद लड़कियां गायब हो गईं.

खोजबीन पर लड़कियों की लाश रेलवे ट्रैक के पास पड़ी मिली. दोनों का सिर बुरी तरह से कुचला हुआ था. जांच में सामने आया कि वे लड़कियां आखिरी बार जॉर्ज के साथ देखी गई थीं. शक के आधार पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया और उससे पूछताछ शुरू की.इसके बाद मीडिया में आया कि बच्चे ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है कि उसी ने दोनों लड़कियों (उम्र 11 और 8 साल) को मारा है. पुलिस ने प्रेस में बताया कि लड़का 11 साल की लड़की के साथ संबंध रखना चाहता था लेकिन लड़की इसके लिए तैयार नहीं हुई. इसी गुस्से में उसने दोनों ही लड़कियों का बेरहमी से कत्ल कर दिया.




पुलिस के बयानों के आधार पर ही जॉर्ज को कोलंबियन जेल में कई महीने रखा गया. इस दौरान उसकी न परिवार और न ही मीडिया से मुलाकात कराई गई. बाद में सामने आया कि जॉर्ज के बयान की कॉपी पर उसके साइन तक नहीं थे. सुनवाई शुरू हुई तो पीड़ित परिवार के वकील से लेकर जॉर्ज तक का वकील और यहां तक कि जज भी श्वेत था. यहां तक कि कोर्टरूम में भी किसी अश्वेत को भीतर जाने की इजाजत नहीं दी गई. भीतर ही भीतर मामले की सुनवाई हुई और फैसला हो गया. अदालत ने जॉर्ज को वयस्कों की तरह ट्रीट किया और बिना किसी गवाह, जांच और दलील के उसे दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी गई.



40 के दशक में अमेरिका में मौत की सजा के कई तरीके थे, जिनमें से एक था बिजली के झटके देना. जॉर्ज को इलेक्ट्रिक चेयर पर बैठाया गया. उसकी लंबाई-चौड़ाई दोनों ही कुर्सी के हिसाब से कम थी. तब उसे किताबों के मोटे ढेर पर बैठाया गया और फिर बिजली का झटका लगाया गया. करंट इतना हाई वोल्ट था कि कुछ ही झटकों में बच्चे की मौत हो गई.

साल 2014 में कुछ वकीलों ने बच्चे को फांसी की सजा के इस केस को दोबारा खुलवाया. कहीं कोई गवाह नहीं था, कहीं भी जॉर्ज के दस्तखत नहीं थे. तमाम कागजों के आधार पर माना गया कि जॉर्ज के साथ नाइंसाफी हुई क्योंकि वो अश्वेत था. आज भी उसे अमेरिकी कोर्ट के इतिहास में मौत की सजा पाने वाला सबसे कमउम्र शख्स माना जाता है.

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