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अमेरिका : नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कुछ अमेरिकी खिलाडियों के अभियान ने देश में एक नई बहस छेड़ी है. राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने की बजाय विरोध स्वरूप घुटनों पर बैठने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल में "सन ऑफ बिच" कहा था. नस्लीय भेदभाव के विरोध में अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ियों का एक अभियान फिर चर्चा में है.
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि वह उन खिलाड़ियों पर शर्मिंदा हैं, जो अमेरिकी राष्ट्रगान के दौरान घुटनों पर बैठे थे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के लिए लड़ते हुए कई लोगों ने अपनी जान दी है और यह विरोध शर्मनाक है. दरअसल यह पूरा मामला पिछले साल शुरू हुआ था. पिछले अगस्त में अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी कॉलिन कैपरनिक नस्लीय भेदभाव और पुलिस की ज्यादतियों के विरोध में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने के बजाय घुटने पर बैठ गये थे.
उनसे विरोध का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं ऐसे मुल्क के झंडे का सम्मान नहीं कर सकता जो काले और अन्य रंग के लोगों का दमन करता हो." बाद में नेशनल फुटबॉल लीग की कई टीमों के खिलाड़ी भी राष्ट्रगान के वक्त घुटनों पर बैठ अपना विरोध दर्ज कराने लगे. इस विरोध ने "take a knee" का नाम लिया. हालांकि मीडिया और लोगों ने इस विरोध को कुछ खास तवज्जो नहीं दी थी. लेकिन हाल ही में ट्रंप ने विरोध कर रहे खिलाड़ियों को "सन ऑफ बिच" कहा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सारे खिलाड़ियों को बाहर निकाल देना चाहिए.