राष्ट्रीय

कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने से संबंधित जनमत के आयोजन को रोकने का इराकी प्रधानमंत्री का आदेश

Majid Khan
20 Sep 2017 8:52 AM GMT
कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने से संबंधित जनमत के आयोजन को रोकने का इराकी प्रधानमंत्री का आदेश
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इराक़ी प्रधानमंत्री हैदर अलएबादी ने कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने से संबंधित रेफ़्रेन्डम के आयोजन को रोकने का आदेश जारी किया। इराकी प्रधानमंत्री ने कुर्दिस्तान क्षेत्र में जनमत के आयोजन के ग़ैर क़ानूनी होने से संबंधित एक अर्ज़ी सोमवार को इस देश के संविधान न्यायालय को भेजी थी जिसमें इसके आयोजन पर रोक लगाने की मांग की थी कि जिस पर इस न्यायालय ने सहमति जतायी है।


हैदर अलएबादी का आदेश कुर्दिस्तान के अधिकारियों को एक बार फिर यह चेतावनी है कि उनकी ग़ैर क़ानूनी मांग को इराक़ की प्रशासनिक व्यवस्था क़ुबूल नहीं करेगी कि जिसमें कुर्दों सहित देश के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। इस बात में शक नहीं कि जनमत का आयोजन कि जिसकी क़ानूनी हैसियत नहीं है, कुर्दिस्तान के कुछ अधिकारियों को इस देश में फूट डालने वाली कार्यवाही करने का कोई औचित्य नहीं देगा।

इराक़ सरकार क़ानूनी तौर से ऐसी प्रक्रिया को रोकने के लिए लगातार कोशिश में रही जिससे कुर्दिस्तान की जनता सहित इराक़ी जनता के हित ख़तरे में न पड़ें। इस बारे में हैदर अलएबादी साफ़ तौर पर कह चुके हैं कि कुर्दिस्तान के ग़ैर क़ानूनी जनमत संग्रह के नतीजे को लागू करने की बिल्कुल इजाज़त नहीं देंगे। यह इराक़ी कुर्दिस्तान के अधिकारियों को खुला संदेश है जो विभिन्न बहानों से इराक़ के संविधान को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश में हैं।
हालिया वर्षों में कुर्दिस्तान क्षेत्र के कुछ अधिकारियों ने कई बार जनमत संग्रह के आयोजन की कोशिश की लेकिन आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़े विरोध के कारण ऐसा करने से उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसलिए इस बात की संभावना है कि आख़री क्षण में इराक़ी कुर्दिस्तान का प्रशासन जनमत का आयोजन न करे लेकिन जिस तरह मसऊद बारेज़ानी इस जनमत के आयोजन पर अड़े हुए हैं उससे इस बात की संभावना बाक़ी है कि यह जनमत आयोजित होगा। ऐसी स्थिति में कुर्दिस्तान क्षेत्र के संकट का राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से और जटिल होने के सिवा कोई और नतीजा नहीं निकलेगा और मसऊद बारेज़ानी के लिए राजनैतिक ख़ुदकुशी के समान होगा कि जिनका कुर्दिस्तान के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल का समय बहुत पहले ख़त्म हो चुका है।

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