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उत्तरी कोरिया के विदेश मंत्री री यूंग हू शायद अमेरिका की दबंगई और घमंड के मुक़ाबले में साहस और बहादुरी से अपनी बात रखने वाले गिने चुने कुछ वक्ताओं से एक थे। री यूंग ही अपनी इस टिप्पणी में शायद ग़लत नहीं थे कि अमेरिकी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मानसिक रूप से विकृत हैं और उन पर अपने महान होने का भूत सवार है। उत्तरी कोरिया का मामला यह है कि वह अमेरिका के मुक़ाबले में शक्ति संतुलन में अपनी स्थिति मज़बूत करना चाहता है।
ट्रम्प ने पहले तो उत्तरी कोरिया को मिटा देने की धमकी दी लेकिन इसके तत्काल बाद अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि मैंने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में उत्तरी कोरिया के विदेश मंत्री का भाषण सुना यदि वह भी लिटिल मिसाइल मैन की तरह सोचते हैं तो वह और उनके शासक दोनों ही ज़्यादा दिन बाक़ी नहीं बचेंगे। यह एसे देश के राष्ट्राध्यक्ष की भाषा नहीं हो सकती जो दुनिया का नेतृत्व करने का दावेदार है। यह तो अज्ञानी और घमंडी व्यक्ति या माफ़िया अथवा डाकू की ज़बान है।
यही कारण है कि जब उत्तरी कोरिया पर परमाणु हमले के विषय पर सर्वे किया गया तो दो तिहाई अमरीकी जनता ने इसका विरोध किया। रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने आज रविवार को बिल्कुल सही कहा कि अमरीकी कभी भी उत्तरी कोरिया पर हमला नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें पता है कि उत्तरी कोरिया के पास परमाणु बम हैं। अमरीकी धौंस धमकी पर अंकुश लगाने के संबध में परमाणु हथियारों की प्रभावी भूमिका होती है। इस्राईल ने वर्ष 1981 में इराक़ के परमाणु प्रतिष्ठान पर हमला किया, हालिया दिनों अमरीका ईरान के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी कर रहा है और परमाणु समझौता रद्द करने की बातें कर रहा है।
पश्चिमी देशों ने तय कर रखा है कि वह किसी भी अरब देश का हाथ परमाणु हथियार तक नहीं पहुंचने देंगे। यह सब इस बात के चिन्ह हैं अमरीका और यूरोप यह चाहते हैं कि वह जब चाहें किसी भी अरब देश पर हमला कर दें और इस्राईल सामरिक शक्ति की दृष्टि से सबसे अधिक ताक़तवर बना रहे। अमरीका ने इराक़ पर हमला और क़ब्ज़ा करने से पहले यह संतुष्टि कर ली थी कि वहां महाविनाश का कोई भी हथियार नहीं है। शायद उत्तरी कोरिया ने इससे पाठ लिया और नहीं चाहता कि इराक़ वाली ग़लती दोहराए। अमरीका के उस पागल राष्ट्रपति के मुक़ाबले में उत्तरी कोरिया का यह क़ानूनी अधिकार है कि अपनी रक्षा करे जो दुनिया ही नहीं बल्कि ख़ुद अमरीका के लिए बड़ा ख़तरा हैं।