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पुतिन ने कहा, पश्चिम पर भरोसा करना सबसे बड़ी गलती

Majid Khan
21 Oct 2017 8:45 AM GMT
पुतिन ने कहा, पश्चिम पर भरोसा करना सबसे बड़ी गलती
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम पर भरोसा करने को रूस की सबसे बड़ी ग़लती बताते हुए कहा कि पश्चिम ने भी एक ग़लती की है और वह यह कि उन्होंने रूस के भरोसे को उसकी कमज़ोरी समझ लिया है। रूस के सूची शहर में 33 देशों के 136 विशेषज्ञयों को संबोधित करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देश के बारे में अपने देश की नीतियों के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों में रूस की विदेश नीति की सबसे बड़ी ग़लती पश्चिम पर भरोसा करना था। पुतिन ने कहा कि पश्चिम ने रूस के भरोसे को उसकी कमज़ोरी समझ कर नाजाएज़ फ़ायदा उठाने का प्रयास किया है जो उसकी सबसे बड़ी गलती है। रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन ग़लतियों को सही किया जाना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच संबंधों को पारस्परिक सम्मान और समानता पर आधारित होना चाहिए।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस फ़ोबिया, दूतावासों के बंद होने और रूसी ध्वज उतारे जाने को यूरोप और रूस के बीच संबंधों में आई कड़वाहट का कारण बताया। उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि दूरियों को ख़त्म किया जा सकता है, जिसके लिए विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता है और इस कार्यक्रम में भाग लेने का मेरा उद्देश्य यही है। रूसी राष्ट्रपति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि अमेरिका में रूस विरोधी विचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है रूस के ख़िलाफ़ ऐसे दुष्प्रचार किए जा रहे हैं कि अतीत में उसका कोई उदाहरण नहीं मिलता, इसलिए अगर आज मैं अमेरिका की इन कार्यवाहियों की आलोचना करता हूं तो आप उसपर आश्चर्य न कीजिए।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि हमें प्राप्त होने वाले सबूत इस बात की ओर संकेत दे रहे हैं कि सीरिया में आतंकवादियों का अंत बहुत क़रीब है और मैं बहुत सावधानीपूर्वक घोषणा कर रहा हूं कि हम जल्द ही सीरिया से पूरी तरह आतंकवादियों को ख़त्म कर देंगे। रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि सीरिया संकट के समाधान के लिए जारी प्रयास सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन फिर भी कई बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि हम ईरान, तुर्की और सीरिया की सरकारों की सराहना करते हैं कि वे इस गंभीर संकट में बहुत सी उलझी हुई गुत्थियों को सुलझानें में आगे आगे रहे और अलग-अलग गुटों और दलों को युद्ध बंदी के लिए मनाने में सफल रहे।

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