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राष्ट्र संघ के अनुसार रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति कल्पना से अधिक बुरी

Majid Khan
3 Oct 2017 7:30 AM GMT
राष्ट्र संघ के अनुसार रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति कल्पना से अधिक बुरी
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संयुक्त राष्ट्र संघ ने म्यांमार के राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर पड़ने वाले दुखों को कल्पना से परे बताया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने तीन निरीक्षकों द्वारा राख़ीन प्रांत के कुछ क्षेत्रों का दौरा किए जाने के बाद म्यांमार की सरकार से मांग की है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा चक्र को रोक दे।

राष्ट्र संघ ने म्यांमार की सरकार से यह मांग भी की है कि वह राख़ीन प्रांत में मुसलमानों को अधिक संभावनाएं प्रदान करे। राष्ट्र संघ के निरीक्षकों की तीन सदस्यीय टीम ने राख़ीन प्रांत के मांगडाओ और राथेडाॅंग क्षेत्रों का एक दिवसीय दौरा किया। यूरोपीय संघ की एक टीम ने भी, जो राष्ट्र संघ की टीम से जुड़ गई थी, एक बयान जारी करके कहा है कि विषम परिस्थितियों के कारण वह जांच पड़ताल करने में सफल नहीं हो सकी।

इस टीम ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि उसे अपने निरीक्षण के दौरान जले हुए और लोगों से ख़ाली गांव दिखाए दिए हैं, बल देकर कहा है कि हिंसा तुरंत बंद की जानी चाहिए। यूरोपीय संघ की टीम ने कहा है कि राख़ीन प्रांत के रोहिंग्या मुसलमानों को मानवीय सहायता की अत्यधिक व तत्काल ज़रूरत है और सरकार को मीडिया को इन क्षेत्रों में जाने की अनुमति देनी चाहिए। इसी बीच बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानो की बर्मा वापसी के लिए वार्ता करने के लिए तैयार हो गया है.

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना वाजिद ने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नस्ली सफाये के जारी रहने पर चिंता जताई है और कहा कि ढाका सरकार शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के बारे में म्यांमार की सरकार से वार्ता के लिए तैयार है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्रसंघ का आह्वान किया है कि वह वास्तविकता खोजी दल भेजकर रोहिंग्या मुसलमानों की ताज़ा चिंताजनक स्थिति का पता लगाये। शेख हसीना वाजिद राष्ट्रसंघ से यह मांग एसी स्थिति में कर रही हैं जब राष्ट्रसंघ और सुरक्षा परिषद ने अब तक म्यांमार के राखीन प्रांत में मुसलमानों के नस्ली सफाये को रोकने के लिए कोई प्रभाव कार्य अंजाम नहीं दिया है।

राष्ट्रसंघ की घोषणा के अनुसार 25 अगस्त से रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार की सेना और चरमपंथी बौद्धों के हमलों में कम से कम 6 हज़ार मुसलमान मारे जा चुके हैं जबकि 8 हज़ार घायल हुए हैं और पांच लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश भाग गये हैं।

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