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इजराइल से सम्बन्ध बढ़ाना सऊदी अरब की मजबूरी

Majid Khan
2 Nov 2017 11:15 AM GMT
इजराइल से सम्बन्ध बढ़ाना सऊदी अरब की मजबूरी
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अमेरिका का जास्टा क़ानून से सऊदी अरब में आए भूचाल के बाद पश्चिमी कूटनयिकों ने रियाज़ को दी नसीहत की छवि सुधारो, इस्राईल से संबंध बढ़ाओ, वहाबियत पर अंकुश लगाओ. इस समय सऊदी अरब अमेरिका की नज़र में अपनी छवि सुधारने के लिए बहुत तीव्र गति से काम कर रहा है ताकि ख़ुद को 11 सितम्बर के हमलों के पीड़ितों को मुक़द्दमा दायर करने का अधिकार देने वाले जास्टा क़ानून के पंजे से ख़ुद को बचा सके और क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के लिए सऊदी अरब के तख्त पर बैठने का रास्ता समतल हो जाए।

सऊदी अरब इस समय अमेरिकी और यहूदी लाबियों की नसीहत पर अमल कर रहा है जिनमें विशेष रूप से पश्चिमी कूटनयिक और इंटैलीजेन्स अधिकारी शामिल हैं। सऊदी अरब ख़ुद को मध्यमार्गी देश के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। जब से अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में जास्टा क़ानून को स्वीकृति मिली है जिसके तहत आतंकवाद को संरक्षण देने वाली सरकारों के विरुद्ध अमेरिका की अदालतों में मुक़द्दमा चलाया जा सकता है, उस समय से सऊदी अरब ख़ुद को बचाने की जुगत में लगा हुआ है।

जास्टा क़ानून सऊदी अरब तथा फ़ार्स खाड़ी के कुछ अन्य अरब देशों को कटहरे में खड़ा कर सकता है जहां के नागरिक 11 सितम्बर के हमलों में शामिल थे और उनके तार सऊदी अरब के राजकुमारों से भी जुड़े हुए थे। सऊदी अरब ने अमेरिका की बड़ी लाबियों और राजनैतिक गलियारों के साथ लगातार बैठकें कीं ताकि सऊदी अरब की छवि को बेहतर किया जा सके। सऊदी अरब ने इस संदर्भ में अमेरिका के पूर्व अधिकारियों और पत्रकारों की मदद ली और कहा कि रियाज़ सरकार हर नसीहत पर अमल करने के लिए तैयार है।

सऊदी अरब की कोशिश थी कि इन बैठकों से वह जास्टा क़ानून के बाद अमरीका में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ बनने वाले वातावरण में कुछ नर्मी पैदा करे क्योंकि यदि अमरीकी न्यायपालिका ने 11 सितम्बर में अमरीकी राजकुमारों के लिप्त होने का फ़ैसला सुना दिया तो फिर सऊदी अरब का भविष्य पूरी तरह अमेरिका के हाथ में होगा। सऊदी अरब की चिंता वाइट हाउस में ट्रम्प जैसे व्यक्ति की उपस्थिति के कारण और बढ़ गई जिनका मूड कब बदल जाए कुछ नहीं कहा जा सकता और जिन्होंने बग़ैर किसी झिझक के सऊदी अरब से सैकड़ों अरब डालर वसूल लिए।

सऊदी अरब ने अमेरिका के कूटनयिकों और इंटेलीजेन्स अधिकारियों से सुझाव लिया कि किस तरह स्थिति का सामना करे और अपने भीतर किस प्रकार के बदलाव करे। अमेरिका के पूर्व इंटैलीजेन्स अधिकारी और कूटनयिक प्रेशर टूल के रूप में काम करते हैं और वह विभिन्न लाबियों से जुड़े होते हैं। एसे ही अधिकारियों में माइकल फ़्लेन भी शामिल हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद से हटाए गए थे। वह रूस और तुर्की के लिए काम कर चुके हैं। अमेरिकी अधिकारियों और लाबियों ने सऊदी अरब को नसीहत की कि वह साहसी फ़ैसलों के माध्यम से अमेरिकी जनमत के नज़र में अपनी छवि सुधारे ताकि अमेरिकी मीडिया में सऊदी अरब को उसके साहसी निर्णयों के कारण जगह मिले। सऊदी अरब को यह नसीहत भी दी गई कि देश में सुधार प्रक्रिया की ज़िम्मेदारी नई नस्ल के राजकुमार संभालें क्योंकि पहली और दूसरी नस्ल के राजकुमारों में बड़े पैमाने पर सुधार करने की हिम्मत नहीं है।

यही से मुहम्मद बिन सलमान का रास्ता साफ़ हुआ और मुहम्मद बिन नाएफ़ को हटाकर मुहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस बन गए। हालांकि मुहम्मद बिन नाएफ़ मुहम्मद बिन सलमान के चचेरे भाई हैं लेकिन उन्हें सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारियों में में गिना जाता है। सऊदी सरकार को यह नसीहत भी दी गई कि वह अपनी विदेश नीति को पूरी तरह वाइट हाउस से समन्वित रखे और इस्राईल की आलोचना करने से परहेज़ करे। इसी आधार पर सऊदी अरब ने अमेरिकी जनमत को ख़ुश करने वाले निर्णय लेने की शुरुआत की साथ ही सऊदी अधिकारियों ने इस्राईल से पेंग भी बढ़ानी शुरू कर दी।

सऊदी अरब ने छह इस्लामी देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर लगाई गई रोक के संबंधित ट्रम्प सरकार के फ़ैसले का इसी लिए समर्थन किया हालांकि इस फ़ैसले की निंदा पूरी दुनिया में यहां तक कि अमेरिका के भीतर भी की गई। सऊदी अधिकारियों ने अमेरिकी नसीहत के तहत महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति दी। मुहम्मद बिन सलमान ने इस संदर्भ में बयान दिया कि वह सऊदी अरब को चरमपंथ से निकालकर माध्यमार्गी इस्लाम की ओर वापस ले जाना चाहते हैं। लेकिन इस जल्दबाज़ी में मुहम्मद बिन सलमान ने नियोम नगर की स्थापना की बात कर दी जो आर्थिक ज़ोन होगा और जहां 500 अरब डालर से अधिक का पूंजीनिवेश किया जाएगा। इस घोषणा का बैंकों और निवेशकों की ओर से जम कर मज़ाक़ उड़ाया गया क्योंकि यह ज़मीनी तथ्यों से मेल नहीं खाती।

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