राष्ट्रीय

ईरान पर युद्ध छेड़ने का सऊदी युवराज का आरोप

Majid Khan
9 Nov 2017 9:45 AM GMT
ईरान पर युद्ध छेड़ने का सऊदी युवराज का आरोप
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सऊदी अरब में जारी राजनीतिक संकट से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए आले सऊद के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान पर बेतुका आरोप लगाने का प्रयास किया है। मोहम्मद बिन सलमान ने यमनी सेना द्वारा रियाज़ एयरपोर्ट पर दाग़े गए मिज़ाइल के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि रियाज़ पर हुए मिज़ाइल हमले के बाद सऊदी अरब यह मान रहा है कि ईरान ने सऊदी अरब के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है।

इस बीच इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासेमी ने सऊदी गठबंधन के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उसको ख़ारिज कर दिया है। बहराम क़ासेमी ने कहा कि यमन की पीड़ित जनता पर सऊदी अरब और उसके गठबंधन द्वारा लगातार बरसाए जा रहे बम का अगर यमनी राष्ट्र जवाब देता है तो वह यमनी जनता का अधिकार है इससे ईरान का कोई लेना देना नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कुछ अरब देश यमन में सऊदी अरब द्वारा किए जा रहे पाश्विक हमलों की निंदा के बजाय दूसरे देशों पर निराधार आरोप लगाकर अपने अमेरिकी आक़ाओं को ख़ुश करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के ईरान पर निराधार आरोप लगाकर सऊदी अरब को यमन में सफलता नहीं मिलेगी। तसनीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यमनी सेना द्वार रियाज़ के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को बैलिस्टिक मिज़ाइल से लक्ष्य बनाने के बाद सऊदी अधिकारियों ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक बार फिर ईरान पर आरोप-प्रत्यारोप करते हुए कहा है यमन से फ़ायर किए जाने वाले मिज़ाइल को ईरान ने यमनी सेना को दिया था।

रिपोर्ट के मुताबिक़ अरब गठबंधन सेना ने कहा है कि ईरान की ओर से यमनी सेना को दिए जाने वाले मिज़ाइल, सैन्य आक्रमण और युद्ध के बराबर हैं जो सऊदी अरब की स्वायत्तता पर सीधे हमले के समान है। दूसरी ओर सऊदी अधिकारी लगातार यमनी सेना के मिज़ाइल हमले को विफल बता रहे हैं जबिक रियाज़ ने पूरे देश में हाई अलर्ट करते हुए यमन की ज़मीनी, हवाई और समुद्री सीमा की घेरा बंदी और अधिक सख़्त कर दिया है।

इसी बीच यमनी सेना का कहना है कि रियाज़ हवाई अड्डे पर मारा गया मिज़ाइल अपने लक्ष्य पर लगा है जिसके बाद आल सऊद की नींदें उड़ गईं हैं। उल्लेखनीय है कि दुनिया भर के मुसलमानों के सामने अब यह बात साफ़ हो गई है कि आले सऊद शासन, इस्राईल, अमेरिका और कुछ पश्चिमी सरकारों की उस नीति पर काम कर रहा जिसमें इस्लामी देशों और मुसलमानों के बीच फूट डालकर उनको बांटने की साज़िश रची गई है।

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