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यूरोप और अमेरिका के यहूदी संगठनों ने जर्मन चुनावों के नतीजों पर चिंता जतायी है. धुर दक्षिणपंथी पार्टी AFD को रोकने के लिये जर्मन नेताओं से अपील की गई है. 1945 में हिटलर की हार के बाद यूरोप में दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ. इसके बाद 72 साल तक जर्मनी में कोई धुर दक्षिणपंथी पार्टी संसद में प्रवेश नहीं कर सकी. मतदाताओं ने ऐसी पार्टियों को बुरी तरह खारिज किया. लेकिन 24 सितंबर 2017 को यह तस्वीर बदल गई. जर्मनी में इस दिन कोई धुर दक्षिणपंथी पार्टी चुनाव में अच्छे वोट पाकर संसद में प्रवेश करने में सफल हुई है.
शुरुआत में AFD के निशाने पर यूरोपीय संघ, यूरो मुद्रा और विदेशी कामगार रहे. लेकिन 2015 में शुरू हुए रिफ्यूजी संकट ने पार्टी को नयी हवा दी. पार्टी के नेताओं ने नाजी जर्मनी पर गर्व करने जैसे विवादित बयान दिये. जर्मनी में इस्लाम के बढ़ते प्रभाव को मुद्दा बनाया और मौजूदा नतीजे बता रहे हैं कि पार्टी इसमें सफल भी रही. और अब उसकी कामयाबी यूरोप और अमेरिका के यहूदियों को भी डरा रही है. इसलिए एएफडी पार्टी से डर रहे हैं.
विश्व यहूदी कांग्रेस के अध्यक्ष रोनाल्ड लाउडर के मुताबिक एएफडी ऐसे वक्त में कायमाब हुई है जब दुनिया भर में यहूदी विरोध की भावना बढ़ रही है. लाउडर ने कहा, "जर्मनी के बुरे दौर को याद करने वाली पार्टी को बाहर किया जाना चाहिए. ऐसी पार्टी अब जर्मन संसद में अपनी नीचता को बढ़ावा देगी." यूरोपीय यहूदी कांग्रेस ने भी जर्मनी की मध्यमार्गी राजनीतिक पार्टियों से एएफडी से दूरी बनाने की अपील की है.
यूरोपीय यहूदी कांग्रेस के अध्यक्ष जोसेफ शुष्टर ने एक बयान जारी कर कहा, "एक पार्टी जो दक्षिणपंथी कट्टरपंथ को स्वीकार करती है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा को उकसाती है, वो अब संसद में प्रतिनिधित्व करेगी और सभी प्रांतीय विधानसभाओं में भी. मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी लोकतांत्रिक ताकतें एएफडी का असली चेहरा सामने लाएंगी और यह खोखला और पॉपुलिस्ट वादों से भरा है."
जर्मनी में करीब दो लाख यहूदी रहते हैं. हिटलर की तानाशाही की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले यहूदियों की नजर में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की छवि एक सहिष्णु और सुरक्षित देश की बनी. लेकिन एएफडी की बढ़ती लोकप्रियता से अब यहूदी शंका में पड़ने लगे हैं. 2017 के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक जर्मनी में इस साल अब तक यहूदी विरोध से प्रेरित अपराध के 681 मामले सामने आ चुके हैं.