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सेक्‍स के बारे में ये बातें हैं एकदम गलत, क्या आपको पता है...नहीं तो जान लीजिए?

Arun Mishra
15 July 2018 4:09 AM GMT
सेक्‍स के बारे में ये बातें हैं एकदम गलत, क्या आपको पता है...नहीं तो जान लीजिए?
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सांकेतिक तस्वीर
ये बातें सेक्‍स के बारे में डिस्‍कस करने में आपकी अवश्‍य मदद करेंगी...

कपल्‍स अपनी सेक्‍स लाइफ को किसी के साथ शेयर करने में अक्‍सर शरमाते हैं। हम आपको सेक्‍स को लेकर बताने जा रहे हैं ऐसी 8 बातें जो व्‍यावहारिक तौर पर सबको सही लगती हैं, लेकिन असलियत में ये होती एकदम गलत हैं। ये बातें सेक्‍स के बारे में डिस्‍कस करने में आपकी अवश्‍य मदद करेंगी...

मिथ: बड़ा है तो बेहतर है

सच: पुरुषों को लगता है कि उनका प्राइवेट पार्ट जितना अधिक बड़ा होगा वह अपने पार्टनर को उतना ही अधिक संतुष्‍ट कर पाएंगे। ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है। केन्‍या में हुई एक स्‍टडी बताती है कि बड़े पीनस का मतलब अधिक दर्द और कम इंजॉयमेंट है।




मिथ: पीरियड सेक्‍स मतलब कॉन्ट्रसेप्‍शन की जरूरत नहीं

सच: हो सकता है आपको पीरियड सेक्‍स करना पसंद हो। वैसे भी पीरियड के वक्‍त महिलाएं अधिक उत्‍तेजित होती हैं, लेकिन ये कहना कि इस वक्‍त कॉन्ट्रसेप्‍शन की जरूरत नहीं सही नहीं है। पीरियड सेक्‍स में इन्‍फेक्‍शन की आशंका भी बढ़ जाती है और प्रेग्‍नेंसी का रिस्‍क भी अधिक रहता है।




मिथ: प्राइवेट पार्ट को बाहर खींच लेना

सच: पुरुषों को लगता है कि अगर वह इजेक्‍युलेट होने से पहले ही अपने प्राइवेट पार्ट को पार्टनर के प्राइवेट पार्ट से बाहर निकाल लेंगे तो प्रेग्‍नेंसी की संभावना खत्‍म हो जाएगी। यह सच नहीं है। कई बार ऐक्‍ट के वक्‍त कुछ पुरुष प्री इजेक्‍युलेट भी हो जाते हैं, तो ऐसे में स्‍पर्म भी रिलीज होते हैं, जिससे आपकी पार्टनर प्रेग्‍नेंट हो सकती हैं।




मिथ: ऑर्गेज्‍म नहीं है तो कोई बात नहीं

सच: कुछ लोग कहते हैं कि सेक्‍स में ऑर्गेज्‍म नहीं आ रहा तो कोई बात नहीं है। इसका जवाब यह है कि अगर आपको ऑर्गेज्‍म नहीं आता तो आप सेक्‍स क्‍यों कर ही रही हैं। बेहतर होगा कि आप इसकी अनदेखी करने की बजाए खुद से अलग एक्‍सप्‍लोर करने की कोशिश करें। यकीन मानिए कि आपकी सेक्‍स लाइफ पहले से बेहतर हो जाएगी। मगर इसके बारे में अपने पार्टनर को भूलकर भी न बताएं।




मिथ: सेक्‍स लाइफ के होते हुए मास्‍टरबेशन गलत

सच: मास्‍टरबेशन और सेक्‍स दो अलग चीजें। इसमें कोई शक नहीं कि दोनों का उद्देश्‍य सेक्‍शुअल प्‍लेजर है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप खुद से प्‍यार करना ही छोड़ दें। मास्‍टरबेशन से आपको खुद को करीब से जान पाते हैं।



मिथ: महिलाओं को पेनिट्रेशन से ही ऑर्गेज्‍म मिलता है...

सच: इसमें कोई दोराय नहीं है कि सेक्‍स में पेनिट्रेशन सबसे जरूरी चीज होती है। मगर ये कहना कि केवल पेनिट्रेशन से ही ऑर्गेज्‍म मिलता है गलत है। सही मायने में महिलाओं को क्लिटोरियल स्टिम्युलेशन से अधिक ऑर्गेज्‍म फील होता है। केवल 18 फीसदी महिलाओं को ही पेनिट्रेशन से ऑर्गेज्‍म होता है।




मिथ: पुरुष तो सेक्‍स के लिए हमेशा रेडी रहते हैं...

सच: अक्‍सर लोगों को यह कहते सुना जा सकता है कि पुरुष हमेशा सेक्‍स करना चाहते हैं। उनके अंदर अपनी पार्टनर से भी ज्‍यादा सेक्‍स करने की भूख होती है। जबकि सच्‍चाई इससे अलग है। 2016 में हुए कुछ अध्‍ययनों में बताया गया है कि 71 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वह जितना कर चुकी है, उन्‍हें अभी उससे अधिक सेक्‍स करना है। पुरुष अक्‍सर महिलाओं की सेक्‍स ड्राइव को कमतर आंकते हैं।




मिथ: सेक्‍स का मतलब केवल ऑर्गेज्‍म है...

सच: अधिकांश कपल्‍स पूरे ऐक्‍ट में केवल ऑर्गेज्‍म पर फोकस करते हैं। ऐसे में वे फोरप्‍ले और इंटीमेसी के बारे में भूल ही जाते हैं। कई बार पार्टनर के स्‍ट्रेस में होने की वजह से ऑर्गेज्‍म आने के बाद भी फील नहीं हो पाता। इसलिए आप केवल ऑर्गेज्‍म पर फोकस करने की बजाए पूरे ऐक्‍ट को इंजॉय करें।

NBT

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