लाइफ स्टाइल

तुमसा नहीं देखा, विदेश को जानो, भारत को समझो - नीलम भागी की एक दिलचस्प कहानी

Special Coverage News
17 Sep 2019 5:00 AM GMT
तुमसा नहीं देखा, विदेश को जानो, भारत को समझो - नीलम भागी की एक दिलचस्प कहानी
x

मैं खिड़की से बाहर देख रही थी, इतने में कात्या मुले फॉर्मल में लंबे लंबे डग भरती आई पहले गेट खोला फिर अपनी गाड़ी में बैठ चल दी। मैं डरने लगी कि कोई आवारा पशु इसका बगीचा न उजाड़ दे। फिर मुझे अपने आप पर हंसी आई कि यहाँ सड़को पर इंसान नहीं दिखते बल्कि गाड़ियाँ दिखती हैं। इंसान देखने हो तो मॉल में ही दिखते हैं। आवारा जानवरों का भला यहाँ क्या काम! मैंने ये सोच कर गेट नहीं बंद किया कि जब ये लौटेगी, अगर मैं सो रही होउंगी तो इसे परेशानी होगी और क्या पता ये रोज ऐसे ही जाती हो?

ये सोच कर मैं खाना बनाने लग गई। खा कर लेटी तो मुझे पढ़ते हुए नींद आ गई। शाम को उठी चाय पी। बाहर स्टोर में जाने के लिए तैयार हुई। इतने में कात्या मुले आई और मुझे अपने साथ ले गई चौयत राम स्टोर वहाँ पर उसने बताया कि उसके देश जर्मनी की खाद्य सामग्री भी यहाँ मिल जाती है। उसने मुझे कहा कि तुमने मेरे घर में रात को जो खाना है, उसके बनाने का सामान ले लो। मैंने आलू ,शिमला मिर्च और अरहर की दाल ले ली। उसने कई तरीके की र्हबस, फ्रोजन चिकन, एक रोस्टेड चिकन लिया और न जाने क्या क्या लिया और हम घर आ गये। वो बोली कि अब हम कुछ खाते हैं। मैं बोली कि मैं अभी आती हूँ, अपने रूम में गई और फटाफट एक कॉफी बनाई, दो सैण्डविच उठाये और बेटी को फोन पर बताया कि मैं कात्या मुले की किचन में आलू शिमला मिर्च और अरहर की दाल बना रहीं हूं।

वो बोली,'' मम्मी भूलकर भी मिर्च मत डाल देना, मिर्च खाते ही इसका मुंह, आँखे लाल हो जायेंगी और आँखों और नाक से पानी बहने लगेगा। इसको इण्डियन खाना पसंद है। आपको खिला कर जो बचेगा, उसे कई दिन तक थोड़ा थोडा खायेगी इसलिये खूब सारा बनवायेगी।'' मैं अपनी ट्रे लेकर आई। उसने रोस्टेड चिकन निकाला मैंने उसे सैण्डविच ऑफर किया वो बोली कि उसके लिए चिकन ही काफी है। खाते खाते मुझसे बोली,'' मेरा दादा बूचड़ था। अगर वो इस समय मेरे सामने आ जाये, मैं उसे दिखाऊं कि मेरे सामने ये जो महिला बैठी है इसने कभी मांस नहीं खाया तो वो बहुत हैरान होगा।''मैं हंसने लगी। ये सोच कर कि मेरे लिये जो आम बात है वो इसके लिये खास हो गई। मैं ब्राह्मण परिवार की हूं। मेरे यहाँ ये सब नहीं खाया जाता तो नहीं खाया जाता। बेटी को मैंने अपनी सहेली से कह कर उसके घर खाना सिखाया था। इण्डिया में वो कभी घर में लाकर नहीं खाती। मुझे सैण्डविच का स्वाद कुछ अलग सा लगा। कवर मैं फाड़ कर मैं डस्टबिन में डाल चुकी थी।

कात्या मुले ने मुझसे पूछा कि मैं इसे वेस्वाद तरीके से क्यों खा रही हूं? मैंने कहा कि ये नान वेज तो नहीं है! वो एकदम गम्भीर हो गई। उसने हाथ का चिकन प्लेट में रक्खा, मेरा सैण्डविच लिया उसका पेट खोलकर, उसमें अंगुली डाल कर उसके भरावन को चाटा और खुश होकर बोली कि नहीं ये नान वेज नहीं है। ये ताहीना है। मेरे हाथ में पकड़ा कर बोली खाओ। अब मैंने चिकन वाले हाथ का चुपचाप खा लिया और मुझे वो स्वाद भी लगा क्योंकि उसमें विदेश में मेरा अकेलापन दूर करने वाली सखि का स्नेह जो जुड़ गया था। खाने के बाद हम किचन में आये। उसने किचन समझा दी और मदद के लिये खड़ी हो गई। मेरे लिये एक दाल सब्जी बनाना, कोई काम ही नहीं था। पर वह बुरा न मान जाये, मैंने उसे प्याज दो तरह से काटने को दिये एक पतले लंबे और दूसरे बारीक, दाल धोकर मैंने उबलने रख दी और आलू उबलने चढ़ा दिया। उसने तो बहुत सुन्दर जल्दी जल्दी काट दिये फिर सारी शिमला मिर्च भी काट दिये, टमाटरों को भी छोटे टुकड़ों में काट दिया। खड़ी होकर मेरा मुंह देखने लगी कि उसे और क्या काम बताऊं? मैंने कहाकि आलू ठ्रण्डे हो जायेंगे तो इन्हें छील देना। उसने र्गम आलू को फॉक में चुभाया, उसे छुए बिना चाकू से फटाफट छिलने लगी। मैं साथ साथ लहसून छील चुकी थी। मैंने बारीक प्याज से शिमला मिर्च छौंकी। अपना काम निपटाकर वो बाहर बैठ गई।

मैं सोचने लगी कि बेटी के हाथ का ये बहुत स्वाद खा चुकी हैं। अब कुछ नया करती हूं और मैं अपने मिशन में लग गई। शिमला मिर्च में लहसून और टमाटर नहीं डाला, बारीक अदरक डाला। दाल तैयार होने के बाद मैं घर का बना देसी घी ले गई उसमें सांभर पाउडर हल्का सा भून कर डाल दिया। मेरी दाल सब्जी तैयार होते ही, उसने लहसून के पत्तों की तरह दिखने वाली एक ज्रर्मन र्हबस से रायता बनाया फिर हम कुत्ता घुमाने चल दिये। वो बातें करती चलती थी और छ फीट की थी। उसकी चाल में गज़ब का आत्मविश्वास था। मुझे उसके साथ तेज चलना पड़ता था, उसकी बातें सुनने के लिये क्योंकि जवाब जो देना होता था। घूमने के बाद हम दोनो र्गाडन में बैठ गये। मच्छर यहाँ होता नहीं। उसने कहा कि वह नौ बजे डिनर कर लेती है और ग्यारह बजे सोती है। इस वक्त साड़े आठ बजे थे। मुझे इंतजार करने को कह कर वह चली गई। लौटी तो उसके हाथ में एक ट्रे थी जिसमें दो खूबसूरत गिलास, सोडा, छोटा सा आइसबॉक्स और अलग अलग वैराइटी की दो वाइन की बोतल थी। इस सामान को उसने टेबल पर ऑरगनाइज़ किया। मुझसे मेरा ब्राण्ड पूछा।''मैंने धन्यवाद करके कहा कि मैं शराब नहीं पीती।

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story