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- भारत में खाना यानी मौत...
भारत में खाना यानी मौत का निवाला, हर साल लगभग 16 लाख लोंगों की हो जाती है मौत, जानिए पूरी बात
सुरेश कुमार गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में काम करते हैं. उनकी पत्नी सीमा एक बुटीक चलाती हैं. शाम को दोनों घर पहुंचे तो थके हुए थे. दोनों ने कहीं से चावल, पनीर और चिकन ऑर्डर किया. अगली सुबह दोनों अपने-अपने काम पर जाने के बजाय डॉक्टर के पास पहुंचे. क्योंकि उन्हें फूड पॉयजनिंग की शिकायत थी. पूरे देश में हर साल हजारों लोग फूड पॉयजनिंग के शिकार होते हैं या मर जाते हैं. ऐसा आपके साथ भी हो सकता है.
कहावत है कि अगर वह सुरक्षित नहीं, तो वह खाना नहीं... क्योंकि, लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 15.73 लाख लोग खराब खाने (फूड पॉयजनिंग) से मारे जाते हैं. खराब खाने से मौत के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 31.28 लाख मौतों के साथ चीन पहले नंबर पर है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डीजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के अनुसार 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग एक नए प्रकोप की तरह फैला है. यह अब भी फैल रहा है. 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग के 2867 मामले आए जो डायरिया के 4361 मामलों से अलग हैं.
आईडीएसपी ने इस साल 6 से 12 मई के बीच फूड पॉयजनिंग के 14 मामले दर्ज किए. पिछले साल आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार खाने से होने वाली बीमारियों की वजह के हर साल भारत पर 1,78,100 करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है. ये देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.5 प्रतिशत है. 2008 से 2017 तक फूड पॉयजनिंग के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. इन सभी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 बनाई गई, ताकि पूरे देश में खाने की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा सके.
2008 से 2017 तक फूड पॉयजनिंग के 2867 मामले
2008 - 50
2009 - 120
2010 - 184
2011 - 305
2012 - 255
2013 - 370
2014 - 306
2015 - 328
2016 - 395
2017 - 242
हर साल बढ़ रही है खाने में मिलावट, जहां ज्यादा मात्रा में बनता है खाना, वहीं सबसे ज्यादा फूड पॉयजनिंग का खतरा
2008 से 2017 तक पूरे देश में उसी जगह से सबसे ज्यादा फूड पॉयजनिंग के मामले आए जहां बड़ी मात्रा में भोजन बनाया गया. जैसे - प्रसाद, शादी समारोह, हॉस्टल्स, कैंटीन आदि. फूड पॉयजनिंग आदि. लोकसभा में 4 जनवरी 2019 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने बताया था कि देश में पिछले तीन साल में मिलावटी खाने के 20% से ज्यादा सैंपल्स मिले.
2015 से 2016 के बीच पूरे देश से खाने की गुणवत्ता जांचने के लिए 72,499 सैंपल्स लिए गए. इनमें से 16,133 सैंपल्स (22%) मिलावटी थे.
2016 से 2017 के बीच 78,340 सैंपल्स लिए गए. इनमें से 18,325 सैंपल्स (23%) मिलावटी थे.
2017 से 2018 के बीच 99,353 सैंपल्स लिए गए. इनमें से 24,262 सैंपल्स (24%) मिलावटी थे.
सबसे ज्यादा मिलावटी खाद्य पदार्थ इन पांच राज्यों में
मिजोरमः 84 सैंपल में से 52 (62%) मिलावटी
राजस्थानः 3549 सैंपल में से 1598 (45%) मिलावटी
उत्तर प्रदेशः 19063 सैंपल में से 8375 (44%) मिलावटी
झारखंडः 580 सैंपल में से 219 (38%) मिलावटी
मणिपुरः 830 सैंपल में से 295 (36%) मिलावटी
दुनिया में फूड पॉयजनिंग से हो रहीं हैं 200 प्रकार की बीमारियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पूरी दुनिया में फूड पॉयजनिंग से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं. इसमें डायरिया से लेकर कैंसर तक शामिल है. करीब 60 करोड़ लोग हर साल फूड पॉयजनिंग की वजह से बीमार पड़ते हैं. फूड पॉयजनिंग से 5 साल से कम उम्र के 125,000 बच्चों की मौत हो जाती है. फूड पॉयजनिंग का सबसे ज्यादा असर गरीब और सेहत से कमजोर लोगों पर पड़ता है.