भोपाल

कमलनाथ सरकार राजनीतिक चक्रव्यू में घिरते ही जारी किये फरमान को लिया वापस, शिवराज बोले-आपातकाल-2

Sujeet Kumar Gupta
21 Feb 2020 9:23 AM GMT
कमलनाथ सरकार राजनीतिक चक्रव्यू में घिरते ही जारी किये फरमान को लिया वापस, शिवराज बोले-आपातकाल-2
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सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाना अनिवार्य कर दिया था। सरकार ने कहा था कि अगर कर्मचारी नसबंदी नहीं करा पाते हैं तो उनको नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा।

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार के नसबंदी वाले फरमान की आलोचना हो रही है। आलोचना के बाद कमलनाथ सरकार ने आदेश वापस ले लिया है। प्रदेश सरकार ने नसबंदी को लेकर स्वास्थय कर्मचारियों को टारगेट दिया था। सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाना अनिवार्य कर दिया था। सरकार ने कहा था कि अगर कर्मचारी नसबंदी नहीं करा पाते हैं तो उनको नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार के आदेश को आपातकाल-2 बताया। पूर्व सीएम ने #MP_मांगे_जवाब के साथ ट्वीट किया, 'मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमर्जेंसी पार्ट-2 है? एमपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो, तो सरकार कार्रवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है।'

इससे पहले राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सफाई देते हुए कहा था कि यह नियमित आदेश है। इस तरह के आदेश भाजपा शासन के दौरान भी जारी किए गए थे। इन दिनों लोगों में जागरुकता बढ़ रही है कि छोटा परिवार सुखी परिवार है। किसी पर इसके लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने बीते 11 फरवरी को यह आदेश जारी किया गया था. इसमें साफ कहा गया था कि जो पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता साल 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी आदमी नहीं जुटा पाए हैं, उनका वेतन वापस लिया जाए और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए. प्रदेश सरकार ने टार्गेट पूरा न करने वाले कर्मचारियों पर नो वर्क, नो पे फॉर्मूले के तहत कार्रवाई का आदेश दिया . आपको बता दें कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरुषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है.

ये है आदेश

स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में वर्ष 2019-20 में सिर्फ 0.5 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी करायी. ये लक्ष्य से बेहद कम है. मप्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने राज्य के कमिश्नर, जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CHMO) के नाम से आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि ऐसे सभी पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHW)s की लिस्ट बनाएं, जिन्होंने इस दौरान एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करवाई या कुछ काम ही नहीं किया. ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को "शून्य कार्य आउटपुट '' मानकर उन पर काम नहीं तो वेतन नहीं का नियम लागू किया जाएगा. आदेश के तहत इन MPHWs की सेवा समाप्त करने की बात थी.

एक्शन की चेतावनी

राज्य के एनएचएम मिशन निदेशक की ओर से 11 फरवरी को जारी आदेश में कहा गया था कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो एमपीएचडब्ल्यू की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश करने वाले प्रस्तावों को कलेक्टरों के माध्यम से भोपाल में एनएचएम मुख्यालय भेजा जाएगा. फिर यहां से आगे की कार्रवाई के लिए इसे स्वास्थ्य निदेशालय भेज दिया जाएगा. इस आदेश का विरोध हुआ और सियासत तेज़ हुई तो दोपहर होते-होते सरकार ने आदेश वापिस लेने का ऐलान कर दिया.

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