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- खंडवा के शाहीनबाग में...
खंडवा के शाहीनबाग में अंतिम दिन NRC एवं CAA के खिलाफ फूट पड़ा महिलाओं का आक्रोश
खंडवा: दिल्ली के शाहीन बाग की ही तरह पूरे देश में जगह-जगह एनआरसी, सीएए एवं एनपीआर को लेकर जो विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है उससे खंडवा भी अछूता नही रहा है । शहर के दरगाह मैदान में पिछले 4 दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन के अंतिम दिन तो जैसे महिलाओं का सैलाब ही उमड़ पड़ा था । प्रदर्शन के अंतिम दिन नर्मदा बचाओ आंदोलन से लगभग 300 आदिवासियों के साथ चित्तरूपा पालित एवं आलोक जी भी प्रदर्शनकारियों के नारों के सुर से सुर मिलाते दिखे ।
धरना स्थल पहुंची लगभग 15000 से अधिक महिलाओं ने एक सुर में कागज नही दिखाने के नारे लगाए तो इन्ही के साथ बोहरा समाज की महिलाओं एवं नर्मदा बचाओ आंदोलन के आदिवासी जत्थे ने भी कागज नही दिखाने की कसम खाकर इंकलाब और हिन्दोस्तान जिंदाबाद के नारों की गूंज दिल्ली की केंद्रीय सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की ।
महिलाओं ने मंच से कहा के आज देश में रँगा बिल्ला की सरकार ने सबसे बड़ा सवाल नागरिकता का खड़ा कर दिया है, सीएए में मुस्लिमों को छोड़ना जानबूझकर देश को ग्रह युद्ध में धकेलेने की साजिश है । देश का हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई एकजुट होकर इसके खिलाफ आंदोलन कर रहा है, मोदी जी बेरोजगारी के आंकड़े छिपाते हैं, देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में डुबकी लगवा रहे हैं और देश की महिलाओं को आंदोलन करने पर मजबूर कर रहे हैं और फिर बिरयानी और 500रु में बिकने वाले जैसे गैर जिम्मेदार बयान दे रहे हैं । यही सरकार ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को अपनी बहन बताती है पर अब इन पूरे देश में आंदोलन कर रही बहनों की बात तक नही सुन रहे हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की चित्तरूपा पालित ने कहा कि मुस्लिमों के बाद दलित और आदिवासियों के नम्बर है ये जंगल पहाड़ों में रहते हैं जिनके पास कागज नही होते, और सरकार ने गुवाहाटी, कर्नाटक में जिस तरह से डिटेंशन सेंटर बनवाई है उनमें प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10रु का बजट है जिस वजह से रोजाना उनमे मौतें हो रही हैं । सीएए सिर्फ देश से खिलवाड़ करने के लिए लाया गया है अगर सरकार को पीड़ितों की चिंता होती तो श्रीलंकाई तमिलों को क्यों छोड़ा गया, रोहिंग्या के पीड़ितों को तो सबसे अधिक मानवता की जरूरत थी पर सरकार सिर्फ हिन्दू मुस्लिम के विवाद को बढ़ाना चाहती है।
धरने की खास बात यह रही के जहां मुस्लिम महिलाओं ने खुलकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली तो वहीं छोटे छोटे बच्चों ने भी हाथों से सुंदर सुंदर तख्तियां बनाकर और नारे लगाकर महिलाओं का साथ दिया । मंच से शमीम सिद्दीक पटेल, आलिमा सना फातिमा, सलमा कादरी के साथ ही कॉलेज पड़ने वाली कई स्टूडेंट्स एवं स्कॉलर्स ने सरकार को एनपीआर एवं एनआरसी को लेकर भविष्य में इससे भी उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी । महिलाओं ने कहा एक बीवी होना बहुत जिम्मेदारी की बात है और पुरुष के लिए उस बीवी को संभालना और अधिक जिम्मेदारी वाली बात होती है किंतु मोदी जी से उनकी बीवी तो सम्भालते नही बना और अब देश भी नही सम्भाल पा रहे हैं ।
अंत मे आयोजक कमेटी ने सभी का आभार माना एवं फिलहाल के लिए इस 4 दिनी धरने को समाप्त कर अगले चरण के आंदोलन की रूपरेखा तैयार की ।