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- महाराज आखिर क्यों है...
कांग्रेस को प्रदेश में सत्ता में आए हुए लगभग सवा साल हो गया लेकिन कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी दूर होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल सिंधिया और उनके समर्थक मानते हैं कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी की एक बड़ी वजह युवाओं के भीतर सिंधिया का ग्लैमर और आशा की एक किरण थी जिसने 15 साल पुरानी भाजपा की सरकार को खदेड़ दिया।
लेकिन जब सरकार बनी तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार होने के बाद भी सिंधिया का नाम नदारद था। उसके बाद सिंधिया समर्थकों ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की पुरजोर वकालत की बावजूद इसके अभी भी कमलनाथ मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों के पद संभाले हुए हैं।
सिंधिया की नाराजगी की ताजी वजह मुरैना में सहकारी बैंक में दिग्विजय समर्थक हरि सिंह यादव की नियुक्ति है जिसे लेकर सिंधिया काफी रूष्ट है। सिंधिया और उनके समर्थकों का मानना है कि ग्वालियर ,मुरैना, भिंड श्वयोपुर,दतिया ,शिवपुरी और गुना कम से कम ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में आता है और वहां पर किसी भी प्रकार की राजनीतिक नियुक्ति बिना सिंधिया की सलाह या उनके समर्थन के नहीं हो सकती। ऐसे में हरी सिंह की नियुक्ति ने सिंधिया को अच्छा खासा नाराज कर दिया है।
सूत्रों की मानें तो उन्होंने अपने समर्थकों विधायकों और मंत्रियों को भी कह दिया है कि यह सब कुछ ठीक नहीं। ऐसे में दो दिन ग्वालियर अंचल के दौरे पर रहे सिंधिया ने लगातार सरकार के ऊपर एक के बाद एक करके निशाने साधे और अतिथि शिक्षकों से तो यहां तक कह दिया कि यदि उनको दिए सरकार के वचन पूरे नहीं हुए तो सरकार के खिलाफ उनकी ढाल और तलवार खुद बनेंगे।
इतना ही नहीं ,उन्होंने सरकार को नसीहत दे डाली कि जो वादा किया वह निभाना ही पड़ेगा। अब जबकि राज्यसभा चुनाव सिर पर हैं सिंधिया और उनके समर्थक चाहते हैं कि सिंधिया न केवल राज्य सभा में जाएं बल्कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी उनकी ताजपोशी की जाए। अब यह सब कुछ आलाकमान पर निर्भर करेगा कि वह सिंधिया को कब तक नाराज रखता है?