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- क्या सिंधिया नया दल...
मैं कांग्रेस का सिपाही हूं, मैं जन सेवक था जनसेवक हूं और जब तक जनता चाहेगी मैं जन सेवा में ही रहूंगा। अगर सिंधिया पार्टी बनाते है तो सबसे पहले मैं उनके साथ जाऊंगा विधायक, सोशल मीडिया पर सिंधिया का नया एडरस न जाने कितने अनगिनत सवाल अनौपचारिक तौर पर सियासी गलियारों में है।
इतना ही नहीं सत्ता से लेकर संगठन तक आंदोलन, धरना, रैली, सत्याग्रह, जनसेवा और 15 वर्ष तक सत्ता के खिलाफ सड़क पर संघर्षरत सिंधिया को सियासत सत्ता से दरकिनार रखना ऐसे में अटकलों पर सवाल स्वभाविक है। मगर समय समय पर सिंधिया यह भी स्पष्ट करने से नहीं चूकते कि वह राजनेता नहीं जनसेवक हैं वह एक कांग्रेस के सिपाही हैं।
मगर इसके उलट सियासी चर्चा फिलहाल यह है कि सिंधिया तो नया दल बना सकते हैं या फिर भाजपा में जा सकते हैं, सच क्या है यह तो आने वाला समय ही तय करेगा। अगर इस खबर में जरा भी सच्चाई है तो आने वाले दिन कांग्रेस को म.प्र. में भारी पड़ने वाले हैं। मगर किसी भी अप्रत्याशित सियासी कदम उठाने से पूर्व समझने वाली बात यह है कि रण से पूर्व सेनापति, सिपहसालार, सलाहकारों की कृतज्ञता, निष्ठा, संसाधनों की समीक्षा अवश्य होनी चाहिए। जिनके लिए हम संघर्षरत हैं। उनसे जीवंत संवाद और उन्हें सुनने समझने समय अवश्य होना चाहिए।
क्योंकि 15 वर्ष की सियासत से पीड़ित, वंचित, गांव, गली, गरीब, किसान ने जिनमें आस्था व्यक्त की वह आज संगठन ही नहीं सत्ता से भी बाहर हैं। ऐसे में हताश निराश जनमानस बैवस, परेशान है। देखना होगा कि मध्य प्रदेश के आने वाले भविष्य पर मौजूद दल या नये दल की पकड़ बन पाती है फिलहाल कयासों का क्या वह तो होते ही कोलाहल मचाने के लिए।