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भय्यूजी महाराज जिन्हें सौंप गए सारी दौलत, जानिए- कौन हैं सेवादार विनायक
इंदौर : भय्यूजी महाराज की कथित खुदकुशी के बाद उनके करीबी विनायक दुधाड़े का नाम चर्चा में है। सूइसाइड नोट के मुताबिक आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने उन्हें अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया है। इसी के बाद से हर कोई जानता है कि आखिर विनायक दुधाड़े कौन हैं?
भय्यूजी की मौत से पहले कम ही लोगों ने विनायक का नाम सुना था। विनायक भय्यूजी महाराज के सबसे विश्वासपात्र सहयोगियों में से एक हैं। वह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पारनेर तालुका में स्थित एक गांव लोनी-हवेली के रहने वाले हैं। विनायक के बाबा भीकाजी गणपत दुधाड़े रोजी-रोटी की तलाश में अहमदनगर से मध्य प्रदेश के इंदौर चले आए थे। भीकाजी के तीन पुत्र थे- काशीनाथ, गोरख और विष्णु। इनमें से काशीनाथ भय्यूजी महाराज के अनुयायी हैं। विनायक इन्हीं काशीनाथ के पुत्र हैं।
42 वर्षीय विनायक दुधाले पिछले 16 साल से भय्यू महाराज के साथ हैं। भय्यू महाराज से जुड़ने से पहले वह इंदौर नगर निगम में पानी का टैंकर चलाते थे। उनके दो बच्चे हैं। बीकॉम तक शिक्षित विनायक का सुखलिया स्थित लवकुश विहार में मकान है। विनायक सुकरिया जिला अहमदनगर (महाराष्ट्र) के रहने वाले हैं। वहां उनकी कृषि भूमि भी है। विनायक भय्यू महाराज के घर के बिजली के बिल, ड्राइवर का वेतन देने के साथ वीआईपी से मेलजोल का लेखा-जोखा भी रखते थे।
2002-03 में कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद काशीनाथ ने विनायक को इंदौर वापस बुला लिया। उनको भरोसा था कि भय्यूजी महाराज उनके बेटे को अच्छी नौकरी दिलाने में मदद करेंगे। इंदौर लौटने के बाद विनायक ने भय्यूजी के आश्रम आना-जाना शुरू कर दिया। ईमानदार, समय के पाबंद, वफादार और मृदुभाषी विनायक ने जल्द ही भय्यूजी महाराज का दिल जीत लिया।
भय्यूजी के पारिवारिक मामलों में भी दखल
बहुत ही कम समय में विनायक भय्यूजी महाराज के सबसे करीबी लोगों में शुमार होने लगे। इसी दौरान भय्यूजी ने अपने आश्रम के सभी वित्तीय अधिकार विनायक को दे दिए। यही नहीं भय्यूजी का सिर पर हाथ होने के बाद विनायक ने उनके परिवार के मामलों में भी दखल देनी शुरू कर दी। अब भय्यूजी महाराज के दूसरे कथित सूइसाइड नोट में विनायक को वित्तीय अधिकार सौंपे जाने की बात है। इसी के साथ देशभर में विनायक की चर्चा हो रही है। विनायक के रिश्तेदारों का कहना है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे।
भय्यू महाराज की अंतिम यात्रा में इंदौर सहित महाराष्ट्र, गुजरात से आए हजारों गुरुभक्त शामिल हुए। भावुक भक्तों ने 'भय्यू महाराज अमर रहे' और 'जब तक सूरज चांद रहेगा भय्यूजी का नाम रहेगा' जैसे नारे लगाए गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए महाराष्ट्र के कई राजनेता भी पहुंचे। प्रदेश से लेकर केंद्र तक की राजनीति में खासा दखल रखने के बावजूद राष्ट्रीय संत को श्रद्धांजलि देने प्रदेश सरकार का कोई मंत्री नहीं पहुंचा, न ही राजकीय सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई।