Archived

मंदसौर की बेटी ने लिखी दर्दभरी चिठ्ठी, जिसने भी पढ़ी रो पड़ा!

मंदसौर की बेटी ने लिखी दर्दभरी चिठ्ठी, जिसने भी पढ़ी रो पड़ा!
x

अभी तो मैने स्कूल जाना सुरु ही किया था पापा ने भी बड़े प्यार से मुझे नया बेग टिफिन बोतल किताबे दिलाई थी में भी बड़ी खुश थी इन सब चीजों को लेकर सोच रही थी पापा ने कुछ सपने देखे है मेरे लिए में उन्हें जरूर पुरा करुँगी खूब पढ़ाई करुँगी ओर परिवार के सपनो को पूरा करुँगी हा ओर वो तो में पुरा करुँगी भी रोजना मम्मी बड़ी प्यार से मुझे तैयार करके स्कूल छोड़ने आती और लेने भी पर उस दिन पता नही क्यो मम्मी मुझे लेने नही आई टीचर ने भी बाहर छोड के चली गई में अकेली वहाँ खड़ी थी सबके मम्मी पापा आए मेरे ही मम्मी पापा नही आए थे।


इतने में पास खड़े अंकल ने मुझे मिठाई खिलाने को कहाँ में मना कैसे करती मुझे मिठाई पसन्द जो थी में भी उनका हाथ पकड़ के चल दी मुझे कहाँ पता था कि मेरे साथ क्या होने वाला था में तो खुश थी मुझे मिठाई जो मिल रही थी में तो भूल भी गई कि मुझे घर भी जाना है।



बस अंकल के पीछे पीछे चल रही थी इसी सोच के साथ के अंकल बड़ी सी दुकान पर ले जायगे जहाँ बहुत सारी मिठाई मिलेगी खाने को पर देखते देखते सारी दुकान बाजार सब चला गया सुनशान जगह कुछ जंगल सा आ गया दुर दुर तक कोई ना दिख रहा था मैंने सोचा शायद मेरे साथ कुछ गलत होने वाला है में भाग पाती उससे पहले अंकल ने मुझे जोर से पकड़ कर अंदर झाड़ियों में लेकर चले गए मेने मम्मी पापा दोनों को बहुत आवाज लगाई पर कोई ना आया जहाँ मेरी एक आवाज पर सब दौड़ कर चले आ जाते थे आज सब कहाँ थे। मुझे अकेले उस हैवान के साथ कुछ अलग लग रहा था बहुत दर्द हो रहा था पर मेरी वहाँ कोई ना सुन रहा था वो हैवान मुझे मारे जा रहा था पर मेरी कोई सुनही नही रहा था मेरा पुरा शरीर दर्द से कांप उठा था। शायद मेरे साथ वो हो रहा है जो में जानती भी नही चारो ओर अंधेरा था और कोई नही था और फिर मुझे वो हैवान भी अकेले छोर कर भाग गया अब में अकेले इस अंधेरे में थी बात करने को कोई था तो वो ये बादल जो शायद मेरे साथ जो हुआ उस पर गुस्सा थे जोर जोर से गरज रहे थे मुझे डर भी लग रहा था पर में कर भी कुछ ना सकती थी दर्द भी बहुत था ना। पूरी रात अंधेरे में निकालने के बाद शायद नया सवेरा आया था मुझे उम्मीद थीं अब तो मेरे पापा आ जायगे मुझे घर ले जाने को लेकिन ये बरसात भी कहाँ मान रही थी अब तो दर्द के साथ ठंड भी लगने लगी थी लेकिन इस उम्मीद से वहां अभी भी लेठी थीं कि कोई तो मुझे मेरे परिवार के पास ले जायगा कुछ देर में एक मेरी उम्र का लड़का मेरे लिए फ़रिश्ता बन कर आया।


कुछ ही देर में सेकड़ो लोग मेरे पास आ गए मुझे अब विश्वास हो गया था कि में अब अकेली नही रही हु पर में जिन्हें ढूंढ रही थी वो अब भी मेरे पास ना थे । मुझे हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था और वहाँ जाते जाते हॉस्पिटल में मम्मी पापा भी आ गए पर ये क्या अपनी बेटी को देख कर खुश होने की बजाय पागलो की तरह रो रहे थे में समझ ही ना पा रही थी कि मेरे साथ क्या हुआ है ।और मुझे इलाज के लिए डॉक्टर अंकल अन्दर रूम में लेके चले गए पर वहाँ तो मुझे ओर भी कुछ देखने को मिला जहाँ डॉक्टर अंकल मुझे डांटकर इंजक्शन लगाते थे आज तो वो भी आंखों में आँशु लिए मुझे छू रहे थे । में समझ गई मैरे साथ कुछ गलत हुआ है पर अब में मेरे मम्मी पापा के पास जाना चाहती थी उन्हें खुश देखना चाहती थी। लेकिन मुझे फिर से बड़ी सी गाड़ी में ले जाया जा रहा था लेकिन मेरे लिए खुशी थी मेरा परिवार अबकी बार मेरे साथ था में खुश थी मम्मी पापा भाई सबकी आंखों में आंसू थे । अब मुझे दुसरे डॉक्टर अंकल ने संभाल लिया था उनकी आंखों में भी आँसू थे सोच रही थी ऐसा क्या किया उस हैवान ने मेरे साथ लेकिन रात तक सुनने में आ गया कि वो हैवान को मेरे मन्दसौर के पुलिस अंकल ने पकड़ लिया।



मेरे मन्दसौर के परिवार वालो में आपकी अपनी बेटी हु इस हेवान ने मेरे साथ बहुत गलत किया है इससे जिंदा रहने का कोई हक नही है में बहुत जल्दी स्वस्थ होकर मेरे घर मंदसौर आ रही हु में आओ उससे पहले इस हेवान को सजा दिला देना बस इतनी ही उम्मीद में आप सब से रखती हु जितनी ज्यादा सजा कठोर सजा इससे दिलवा सको दिलवा देना शयद आज जो मेरे साथ हुआ है वो अब किसी ओर के साथ ना हो सके इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास करना में फिर से स्वस्थ होकर पढ़ने को आ रही हु मैरे पापाके जो सपने हेना जो उन्होंने मुश्कुराते हुए देखे थे ना में उन्हें फिर से पूरा करने में लग जाओगी आप सभी मेरा साथ हमेशा ऐसे ही देते रहना
आपकी अपनी बेटी मन्दसौर की बेटी

Next Story