मध्यप्रदेश

सिंहस्थ घोटाला: कमलनाथ सरकार की पैनी नजर से शिवराज का बचना मुश्किल

Sujeet Kumar Gupta
11 Dec 2019 5:10 AM GMT
सिंहस्थ घोटाला: कमलनाथ सरकार की पैनी नजर से शिवराज का बचना मुश्किल
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इंदौर। मध्य प्रदेश शासन के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने सिंहस्थ घोटाले में जांच तेज कर दी है। इस मामले में हर सप्ताह एक नई FIR दर्ज की जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सिंहस्थ घोटाले में कुल 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए जाएंगे। कमलनाथ सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का दावा है कि पेयजल के लिए मटका से लेकर देशभर में विज्ञापनों तक हर मामले में घोटाला हुआ है। कमलनाथ सरकार घोटालेबाजों पर सख्त कार्रवाई करेगी।

बतादें कि मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 2016 में जब सिंहस्थ हुआ था, उस दौरान कांग्रेस विपक्ष में थी. तब कांग्रेस ने इसमें घोटालों का आरोप लगाते हुए अपने स्तर पर जांच कराई थी. कांग्रेस विधायकों के जांच दल ने सिंहस्थ आयोजन स्थल का दौरा कर कर एक-एक काम की जांच की थी. लोगों के बयान भी दर्ज किए थे. टेंडर प्रक्रिया, खरीदे गए सामान की स्थिति, निर्माण कार्य की गुणवत्ता मौके पर जाकर देखी थी. जांच कमेटी ने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को रिपोर्ट सौंपी थी. उसमें डेढ़ हजार करोड़ के घोटाले के प्रमाण दिए थे. सत्ता में आते ही कांग्रेस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन शिवराज सरकार ने सिंहस्थ के विज्ञापन के नाम पर 600 करोड़ का घोटाला किया. 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री के लिए 60 करोड़ रुपए चुकाए गए. बाजार में 3500 रुपए में जो कूलर मिल सकते थे, स्थानीय नगर निगम ने उसे 5600 रुपए प्रति कूलर के हिसाब से किराए पर लगवाया. सिंहस्थ मेला क्षेत्र में कुल 40 हजार शौचालय बनाए गए लेकिन कागजों पर 90 हजार लिखे गए।

पूरे आयोजन स्थल, साधुओं की छावनियों में 35 हजार शौचालय, 15 हजार बाथरूम और 10 हजार मूत्रालय बनाए जाना थे. इसके लिए 18 अगस्त, 2015 को टेंडर क्रमांक 1415 निकाला गया, जो मात्र 36 करोड़ रुपए का था. इसमें लल्लूजी एंड सन्स, सुलभ और 2004 के सिंहस्थ में अधूरा काम छोड़कर भागने वाली ब्लैक लिस्टेड कंपनी सिंटेक्स ने भी भाग लिया. इस तरह 36 करोड़ का ठेका 117 करोड़ में दिया गया.

इसी प्रकार नगर निगम ने आर-ओ के पानी की 750 प्याऊ 2.50 लाख रुपए प्रति प्याऊ की लागत से बनवायीं. प्रतिदिन की मान से 40 करोड़ रुपए में कचरा प्रबंधन का ठेका दिया. इसमें भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ. 5 करोड़ के पुल के लिए 15 करोड़ भुगतान किया गया, वहीं 66 करोड़ का अस्पताल बनाने के लिए 93 करोड़ भुगतान किया गया. गर्मी में 30 लाख रुपए की वैसलीन खरीदी गई. शहर और मेला क्षेत्र में 120 और 150 वॉट की 11,330 एलईडी लाइट लगाने का दावा किया था. इसमें 3 करोड़ 60 लाख का घोटाला हुआ. पीने के पानी के लिए 100 रुपए का मटका 750 में खरीदा गया।

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