महाराष्ट्र

NIA करेगी भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच, महाराष्ट्र सरकार ने जताई नाराजगी

Arun Mishra
25 Jan 2020 6:51 AM GMT
NIA करेगी भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच, महाराष्ट्र सरकार ने जताई नाराजगी
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चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच अब एनआईए करेगी

महाराष्ट्र : चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा (Bheema Koregaon Case) की जांच अब एनआईए (NIA) करेगी। वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने एनआईए को मामले की जांच सौंपे जाने पर सवाल उठाया है। इस मामले पर महाराष्ट्र में सियासत भी गरमा गई है। महाराष्ट के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस फैसले की निंदा की है। उनका कहना कि इस मामले में राज्य सरकार को विश्वास में नहीं लिया गया। उधर बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनआईए जांच को राष्ट्र हित में बताया है। दरअसल जांच ऐसे समय मे ट्रांसफर हुई है जब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इस मामले की दुबारा एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी।

1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा कोरेगांव हिंसा का जिन्न महाराष्ट्र की सियासत में लौट आया है। शुक्रवार को एनआईए ने महाराष्ट्र सरकार को इसकी जानकारी दी। चूंकि इस केस का दायरा कई राज्यों में फैला है इसलिए इस मामले की जांच अब एनआईए करेगी। इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख सामने आए। उन्होंने जांच टेकओवर करने की निंदा करते हुए कहा की इस मामले में राज्य सरकार से इजाजत तो दूर पहले बताया तक नहीं गया। वहीं कांग्रेस और एनसीपी का आरोप है कि बीजेपी के इशारे पर पुलिस ने मुख्य आरोपियों को बचाकर इस तरह की कहानी बनाई। चूंकि इस मामले की दुबारा एसआईटी से जांच कराने की बात चल रही थी इसलिए बीजेपी ने आनन फानन में मामले की जांच एनआईए को सौंप दी। इनलोगों का कहना है कि अलोकतांत्रिक तरीके से जांच एनआईए को दिया गया है।

आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अब तक यलगार परिषद की रैली में हिस्सा लेने वाले या सपोर्ट करने वाले 10 एक्टिविस्ट जिन्हें अर्बन नक्सली कहा गया गिरफ्तार हो चुके हैं और सभी के खिलाफ ट्रायल चल रहा है। इन पर आरोप है कि 31 दिसम्बर 2017 को इन लोगों के भड़काऊ बयान के कारण हिंसा भड़की। इतना ही नहीं इस मामले में ये भी सामने आया कि ये लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रच रहे हैं। इनमें वामपंथी एक्टिविस्ट वरवर राव वकील सुधा भारद्वाज ,गौतम नवलखा, अरुण फरेरा जैसे एक्टिविस्ट गिरफ्तार हुए। दूसरी तरफ यलगार परिषद ने भिड़े गुरुजी का नाम लिया लेकिन उनपर कार्रवाई नहीं हुई। अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस जांच को राष्ट्रहित में बताया है।

इस बीच शिवसेना की तरफ से संजय राउत का बयान आया है। संजय राउत का कहना है कि चूंकि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इस मामले की एसआईटी जांच की मांग की थी इसलिए हमारा मानना है कि इसमें जरूर कोई गड़बड़ी होगी क्योंकि शरद पवार ऐसे ही कुछ भी बोलने वाले नेता नहीं हैं।

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Sub-Editor of Special Coverage News

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