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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन बिल 2019 पारित
नई दिल्ली : लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल 2019 पारित किया गया. इसके पहले इस बिल को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन गुरुवार को एक बार फिर एक दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं. उनका ये कदम राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) बिल, 2019 के विरोध में सामने आया है. बताया जा रहा है कि NMC बिल का विरोध करते हुए आज रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन देशभर में एक दिन की हड़ताल पर जाएगी. उनकी ये हड़ताल आज यानी गुरुवार को सुबह 8 बजे से शुरू होगी. आपको बता दें कि इससे पहले भी देशभर डॉक्टर्स कई मौकों पर हड़ताल पर जा चुके हैं जिससे आम लोगों को काफी मुश्किलें हुईं थी.
क्या है NMC Bill 2019
National Medical Commission Bill 2019 (NMC) के कानून बनने से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मनचाही फीस वसूलने पर रोक लग जाएगी. दरअसल कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो मैनेजमेंट कोटे की सीटों को एक-एक करोड़ रुपये में अयोग्य छात्रों को बेच देते थे. ये कॉलेज साढ़े चार वर्षीय एमबीबीएस के लिए हर साल करीब 15 से 25 लाख रुपये तक सालाना की फीस वसूलते हैं. लेकिन बिल के पास होने के बाद कॉलेजों की इस मनमानी पर काफी हद तक रोक लग जाएगी.
60 हजार सीटों पर सरकार तय करेगी फीस
दरअसल इस बिल के पास होने के बाद प्राइवेट कॉलेजों की 20 हजार सीटों पर फीस सरकार तय करेगी. फिलहाल देश में मेडिकल की 80 हजार सीटे हैं. इनमे आधी यानी 40 हजार सीटे सरकार के पास है और बाकी 40 हजार सीटे प्राइवेट कॉलेजों के पास हैं. ऐसे में अगल ये बिल पास हो गया तो प्राइवेट कॉलेजो की 40 हजार सीटों की 50 फीसदी सीटों पर भी सरकार फीस तय कर सकेगी. इस तरह सरकार 60 हजार सीटों पर फीस तय कर सकेगी.
काबिल छात्रों को मिलेगा एडमिशन
इसके अलावा प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन के लिए भी नीट पास करना होगा. केवल डोनेशन के दम पर छात्रों को एडमिन नहीं मिल सकेगा. इससे अयोग्य छात्रों को एडमिशन मिलने पर रोक लगेगी और केवल वहीं छात्र एडमिशन पा सकेंगे जो वाकई काबिल हैं. पिछले दिनों ये बिल लोकसभा में पास गया था. अब इसको राजस्यसभा में पेश किया जाएगा.
बिहार में भी हो चुका है विरोध
इससे पहले इस बिल के विरोध में बिहार के डॉक्टर्स भी मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल पर गए थे. डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के कारण पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) सहित राज्य के करीब सभी अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ा. हड़ताल की जानकारी नहीं होने के कारण दूर-दूर से मरीज अस्पताल पहुंच गए परंतु इलाज नहीं होने के कारण ऐसे लोगों को वापस लौटना पड़ा.