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आडवाणी जी, अब श्यामाप्रसाद मुखर्जी को क्या जबाब दोगे! चौकीदार कहाँ है?
इस देश में पिछले कई सालों में कांग्रेस, बीजेपी, गैर भाजपा ओर गैर कांग्रेसी सरकार भी रही. लेकिन किसी बड़े बीजेपी नेता की मूर्ति को किसी ने हाथ तक नहीं लगा पाया. लेकिन बीजेपी के उस तेज तर्रार हिंदूवादी प्रधानमंत्री के राज में उस पार्टी के संस्थापक की मूर्ति तोड़ दी जाती है. जिसके कारण आज वो इस कुर्सी तक पहुंचे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कुर्सी तक पहुंचाने में सबसे बाद सहयोग बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का है. जब मौजूदा पीएम अटल बिहारी बाजपेयी इनके गुजरात प्रकरण से खासे नाराज थे तब आडवाणी ही इनके संकटमोचक बने थे. अब लालकृष्ण अडवाणी बीजेपी के एक भूली विसरी याद बनकर रह गये. जब नरेंद्र मोदी पीएम पद की शपथ ले रहे थे. तब भी बीजेपी समर्थक लोंगों ने माना था कि अडवाणी देश के राष्ट्रपति का पद संभालेगें. लेकिन वो भी नहीं हुआ. और अडवाणी समर्थक निराश हो गये.
लेकिन आज अजब सभी भाजपाइयों को पता लगा कि हमारे आदर्श श्री श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मूर्ति के साथ खिलवाड़ की गई है. तो पुराने सभी भाजपाई रो पड़े. लेकिन जब पूर्वोत्तर राज्य के प्रभारी और त्रिपुरा राज्य के राज्यपाल तथागत रॉय इस मूर्ति तोड़े जाने को सही ठहरा रहे हो. तो क्या पीएम नरेंद्र मोदी इनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने के बाबजूद मूर्ति तोड़े जाने की खबरों की बाढ़ आ गई. इसका मतलब इन्होने मना किया था या इनकी बात इनके लोंगों ने ही मजाक बना दी. राज्यपाल सरकार का संवैधानिक पद है. उस व्यक्ति को एक पार्टी बनकर बात कहने का हक़ नहीं है. अगर उसको यह हक़ हासिल है तो एक आईपीएस या एक आईएएस अधिकारी के कुछ कहने पर भूकंप क्यों आ जाता है.
लगातार मूर्ति टूटने की खबर आ रही है. लेकिन देश का चौकीदार किधर जाकर सो गया है. चौकीदार दिखे तो बता देना कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी, अम्बेडकर, लेनिन , पेरियर और अब गांधीजी की मूर्ति भी तोड़ दी गई है.