राष्ट्रीय

क्या सारा वायु प्रदूषण किसानों के पराली जलाने से ही होता हैं?

Special Coverage News
3 Nov 2019 5:04 AM GMT
क्या सारा वायु प्रदूषण किसानों के पराली जलाने से ही होता हैं?
x

गिरीश मालवीय

मीडिया दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर किसानों के पराली जलाते हुए विजुअल दिखा रहा है, लगभग हर न्यूज़ चैनल पर यह दृश्य दिखाए जा रहे हैं. गोया कि सारा वायु प्रदूषण किसानों के पराली जलाने से ही होता हैं लेकिन क्या यही मीडिया आपको बताता है कि थर्मल पावर प्लांट के फैलाए गए वायु प्रदूषण से एक वर्ष के भीतर कुल 76 हजार समयपूर्व मौतें हो चुकी हैं। ओर देश के पर्यावरण मंत्रालय ने कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स से होने वाले वायु प्रदूषण के तय मानकों को घटाने के बजाए बढाने की मंजूरी दे दी है. ओर यह मंजूरी सिर्फ इसलिए दी गयी है कि यह थर्मल पावर प्लांट अडानी के है.

मई 2019 को मंत्रालय को चार थर्मल पावर प्लांट के सात इकाइयों पर की गई एक मॉनिटरिंग रिपोर्ट भेजी गयी थी, जिसमें ये पाया गया था कि सात में से सिर्फ दो इकाइयां ही 300 mg/Nm³ के मानक से ज्यादा उत्सर्जन कर रही हैं. ये दोनों इकाइयां अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड की हैं. सीपीसीबी और सीईए द्वारा की गई मॉनिटरिंग रिपोर्ट के मुताबिक अडानी पावर प्लांट की दोनों इकाइयों से नाइट्रोजन ऑक्साइड्स का उत्सर्जन 509 mg/Nm³ और 584 mg/Nm³ था, जो कि निर्धारित 300 mg/Nm³ से काफी ज्यादा है.

इससे अडानी साहब को कोई कष्ट न हो इसलिए पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट्स से निकलने वाली जहरीली गैस नाइट्रोजन ऑक्साइड की सीमा 300 से बढ़ाकर 450 mg/Normal Cubic Meter कर दी है. जबकि पर्यावरण मंत्रालय ने सात दिसंबर 2015 को ही नोटिफिकेशन जारी कर थर्मल पावर प्लांट के लिए वायु प्रदूषण मानक 300 mg तय किया था.

ग्रीन पीस की रिपोर्ट के अनुसार देश में कोयला आधारित विद्युत संयंत्र अभी तक उत्सर्जन मानक का पालन नहीं कर पाए हैं। अगर मानकों को समय से लागू किया जाता तो सल्फर डाई ऑक्साइड में 48%, नाइट्रोडन डाई ऑक्साइड में 48% और पीएम के उत्सर्जन में 40% तक की कमी की जा सकती थी। वहीं, कुल 76 हजार समयपूर्व मौतों में सिर्फ सल्फर डाई ऑक्साइड कम करके 34 हजार, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड कम करके 28 हजार और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) को कम करके 14 हजार मौत से बचा जा सकता था। ग्रीनपीस के विश्लेषण के अनुसार, अगर इन मानकों के अनुपालन में पांच साल की देरी की जाती है तो उससे 3.8 लाख मौत हो सकती हैं। सिर्फ नाइट्रोजन डाई आक्साइड के उत्सर्जन में कमी से 1.4 लाख मौतों से बचा जा सकता है।

लेकिन इन रिपोर्ट को कौन तरजीह देता है आज विश्व का हर दसवां अस्थमा का मरीज भारत से है. अस्थमा जैसी बीमारियां बच्चों में तेजी से फैल रही है. एक अध्ययन के अनुसार 90% बच्चों और 5०% वयस्कों में अस्थमा का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है. विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित दस शहरों में से सात भारत में है और वो इसलिए है कि हम ऐसी रिपोर्ट को कचरे में फेंक देते हैं और किसानों के पराली जलाने के पीछे पड़े रहते हैं असली कारणों की तरफ बिल्कुल ध्यान नही देते.


Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story