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आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ: प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने लाल किले पर फहराया तिरंगा
नई दिल्ली : आजाद हिंद फौज सरकार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराया। इस मौके पर नेताजी को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक वैश्विक नेता थे। आज से 75 वर्ष पूर्व नेताजी ने एक ऐसे भारत की शपथ ली थी जहां सभी के पास समान अधिकार हों। उन्होंने एक समृद्ध भारत की कल्पना की थी। आजादी के इतने सालों के बाद भी नेताजी का यह सपना पूरा नहीं हो सका है।
पारंपरिक रूप से देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को ही ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं। इस वर्ष प्रधानमंत्री मोदी नेे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई और प्रेरणा से बनी आजाद हिंद सरकार की वर्षगांठ मनाने के लिए लाल किले पर तिरंगा फहराया हैैै।
PM @narendramodi addressing the gathering at #RedFort, New Delhi, commemorating the 75th anniversary of #AzadHindGovernment formed by #NetajiSubhashChandraBose. pic.twitter.com/mUAIBrRkka
— PIB India (@PIB_India) October 21, 2018
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आज़ादी की लड़ाई में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के योगदान का स्मरण करते हुए कहा है कि नेताजी ने बांटो और राज करो की अंग्रेजों की नीति का विरोध किया था लेकिन उनका सपना आज तक पूरा नही हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि आज़ाद हिंद फौज की स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि नेताजी को प्रेरणा स्वामी विवेकानंद से मिली थी और पन्द्रह सोलह वर्ष की उम्र में ही उनमें देशप्रेम की भावना जग गई थी और मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए बेचैन हो गए थे।
शुरू में वे गांधी जी के साथ थे पर बाद उन्होंने सशत्र क्रांति का रास्ता अपनाया और आज़ाद हिंद फौज की स्थापना की जिसका अपना बैंक ,मुद्रा और डाकटिकट भी था। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी अंग्रेजों की बांटों और राज करो नीति के विरोधी थे लेकिन उनका यह सपना पूरा नही हुआ। आज भी देश की एकता और संविधान पर हमले हो रहे है ऐसे में प्रत्येक नागरिक नेता जी से प्रेरणा लेकर ऐसी ताकतों के खिलाफ लडने का संकल्प लें।
इस ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और इंडियन नेशनल आर्मी(आईएनए) के सैनिक आर.एस. छिकारा के अलावा अन्य लोग शामिल हैं। आजाद हिंद सरकार की स्थापना सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रेरित होकर 21 अक्टूबर, 1943 को सिगापुर में की गई थी।