राष्ट्रीय

तो इसलिए काटे जा रहे बीजेपी सांसदों के टिकिट, क्योंकि यह प्रयोग ही मोदी की पहचान बना!

Special Coverage News
20 March 2019 7:59 AM GMT
तो इसलिए काटे जा रहे बीजेपी सांसदों के टिकिट, क्योंकि यह प्रयोग ही मोदी की पहचान बना!
x

लोकसभा चुनाव 2019 के सियासी संग्राम को फतह करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूरी तरह से कमर कस लिया है. देश की सत्ता पर दूसरी बार अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए बीजेपी गुजरात मॉडल पर आधारित 'नो रिपीट थ्योरी' पर काम कर रही है. इस रणनीति के तहत बीजेपी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाने जा रही है. इसी 'गुजरात मॉडल' के जरिए बीजेपी पिछले दो दशक से गुजरात की सत्ता पर काबिज है.

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पांच साल से देश की सत्ता पर काबिज है. यूपी, गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बड़ी संख्या में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी के मौजूदा सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान होना स्वाभाविक है. बीजेपी ने एंटी इन्कमबेंसी से पार पाने के लिए बड़ी संख्या में पुराने सांसदों की जगह नए चेहरे के साथ सियासी रणभूमि में उतरने का मन बनाया है.

कई प्रदेशों में बीजेपी काट रही टिकट

बीजेपी उत्तर प्रदेश में करीब आधे से ज्यादा सीटों पर मौजूदा सांसदों के टिकट काटने जा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी की 80 सीटों में से 71 सीट जीतने में कामयाब रही थी. ऐसे में पार्टी करीब 40 सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव लगा सकती है. ऐसे ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी अपने सभी 10 सांसदों का टिकट काटने का फैसला कर चुकी है. पिछले चुनाव में राज्य की 11 सीटों में से 10 जीतने में सफल रही थी. वहीं, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी पार्टी अपने मौजूदा कई सांसदों की जगह नए चेहरे के साथ आम चुनाव के सियासी संग्राम में उतर सकती है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा के उम्मीदवारों की फेहरिश्त को अंतिम स्वरूप देने में जुटे हैं. माना जा रहा है कि एक- दो दिन में उम्मीदवारों के नाम का ऐलान बीजेपी कर सकती है. बीजेपी ने कद्दावर नेताओं पर दांव लगाने की योजना बनाई है, जो राजनीतिक समीकरण में फिट बैठते हों और चुनावी जंग जीतने का माद्दा रखते हों.

मोदी का पुराना मंत्र

बीजेपी पहली बार अपने मौजदा नेताओं के टिकट नहीं काटने जा रही है. इससे पहले भी पुराने चेहरों की जगह नए उम्मीदवार उतारती रही है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते तीनों विधानसभा चुनावों के दौरान 'नो रिपीट थ्योरी' अपनाई थी. काम नहीं करने वाले तथा भ्रष्टाचार व अपराधों के आरोपों में घिरे विधायकों को दूसरी बार टिकट नहीं दिया जाता था. अब इसी रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने बड़ी संख्या में अपने सांसदों का टिकट काटकर उनके खिलाफ क्षेत्र में बने एंटी इनकमबेंसी के असर को कम करना है. बीजेपी इसी सिद्धांत के तहते इस बार लोकसभा चुनाव में पुराने चेहरे के बजाय नए चेहरों के साथ उतरने की रणनीति पर पर काम कर रही है.

Next Story