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36 घंटे बाद नेत्रावती नदी में मिला कैफे कॉफी डे के मालिक का शव

Special Coverage News
31 July 2019 5:22 AM GMT
36 घंटे बाद नेत्रावती नदी में मिला कैफे कॉफी डे के मालिक का शव
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वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के बाद उनका एक खत भी सामने आया था जिसमें उन्होंने कर्ज के बोझ और मुश्किल परिस्थितियों के आगे हार मानने की बात लिखी थी.

करीब 36 घंटे से लापता कैफे कॉफी डे (CCD) के मालिक वी. जी. सिद्धार्थ को लेकर जो आशंका जताई जा रही थी आखिरकार वो सच साबित हुई. पुलिस ने नेत्रावती नदी से उनके शव को बरामद कर लिया है. पुलिस, तटरक्षक बल, गोताखोर और मछुआरे समेत कुल 200 लोगों की टीम नेत्रावती नदी में सिद्धार्थ को ढूंढने में जुटी हुई थी. सिद्धार्थ के लापता होने के बाद से उनके आत्महत्या करने की आशंका जताई जा रही थी.

वीजी सिद्धार्थ का शव मिलने को लेकर मंगलुरु पुलिस कमिश्नर संदीप पाटिल ने कहा, हमें सुबह एक शव मिला है जिसकी पहचान करने की जरूरत है. हमने परिजनों को भी इसकी खबर दे दी है और शव को वेनलॉक अस्पताल में शिफ्ट कर रहे हैं ताकि इस मामले में पूरी जांच की जा सके.'

बता दें कि करीब तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनी कैफे कॉफी डे (Cafe Coffee Day) के मालिक और पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के दामाद वी जी सिद्धार्थ सोमवार की शाम से अचानक लापता हो गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धार्थ 29 जुलाई (सोमवार) को मंगलुरु आ रहे थे और बीच रास्ते में शाम के करीब 6.30 बजे गाड़ी से उतर गए और नेत्रावती नदी पर बने पुल पर टहलने लगे. वो टहलते-टहलते ही लापता हो गए जिसके बाद उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया था.

वी.जी. सिद्धार्थ के ड्राइवर बासवराज पटेल ने अपने बॉस के साथ गुजरे आखिरी घंटे की कहानी मीडिया को बताई थी. ड्राइवर ने कहा कि जब इनोवा मेन मैंगलोर सर्किल में घुस रही थी तो वी.जी सिद्धार्थ ने कहा कि बाईं ओर मुड़ो और साइट पर चलो. ड्राइवर ने कहा कि हमलोग केरल हाईवे पर पहुंचे और 3 से 4 किलोमीटर तक चले. ड्राइवर ने आगे कहा, 'रास्ते में एक पुल पर उन्होंने मुझे रुकने को कहा, और कहा कि तुम पुल के किनारे पर रहना, मैं घूम कर वापस आ जाऊंगा, तब तक मैं कार से नीचे उतर गया था, तभी उन्होंने कहा कि तुम कार में ही रहो और पुल के दूसरे किनारे पर चले जाओ.'

वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के बाद उनका एक खत भी सामने आया था जिसमें उन्होंने कर्ज के बोझ और मुश्किल परिस्थितियों के आगे हार मानने की बात लिखी थी. सिद्धार्थ ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कॉफी कैफे डे परिवार को संबोधित करते हुए पत्र में लिखा, 37 सालों तक कड़ी मेहनत से काम करने के दौरान कंपनी में 30,000 नौकरियां पैदा हुईं. लेकिन मैं अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद मुनाफे का बिजनेस खड़ा नहीं कर सका. सिद्धार्थ ने लिखा, इस कंपनी को मैंने अपना सब कुछ दिया. मैं उन लोगों को निराश करने के लिए माफी मांगना चाहता हूं जिन्होंने मुझमें भरोसा जताया. मैं बहुत लंबे वक्त से लड़ रहा था लेकिन अब मैंने हार मान ली है. मैं एक प्राइवेट एक्विटी पार्टनर के शेयर वापस खरीदने के दबाव को और नहीं झेल पा रहा हूं. सिद्धार्थ ने आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी पर भी प्रताड़ना का आरोप लगाया था.

जब सिद्धार्थ को ढूंढने के लिए मंगलवार को नेत्रावती नदी में रेस्क्यू चल रहा था तो इसी बीच एक स्थानीय मछुआरे ने दावा किया था कि उसने शाम 7 बजे एक शख्स को नदी में कूदते देखा. वह एक छोटी नाव में था और वहां से वह कुछ दूरी पर कूदे. उसने उस जगह पहुंचने की कोशिश की, लेकिन उन्हें तलाश नहीं पाया.

सिद्धार्थ के लापता होते ही कर्नाटक की राजनीति में भी सियासी उबाल आ गया. पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कुमारस्वामी ने कहा, 'सुबह जब मैंने यह खबर सुनी, मैं चौंक गया. कोई नहीं जानता कि आयकर विभाग क्या चाहता है. अधिकारी बॉडी की तलाश कर रहे हैं. उन्होंने कई ग्रामीणों को जीवन दिया. सिद्धार्थ ने कई चुनौतियों का सामना किया. वे कई युवाओं के रोल मॉडल थे.'कुमारस्वामी ने कहा, ' मेरी उनसे मुलाकात 7 महीने पहले ही हुई थी. मुलाकात के दौरान उन्होंने आयकर विभाग के टैक्स छापे के बारे में बात की थी, लेकिन उनके खिलाफ किसी तरह के कोई आरोप तय नहीं किया गया था. लेकिन हमने मीडिया में आया उनका अंतिम खत देखा, यह चौंकाने वाला है. जनता दल सेक्यूलर के नेता और पूर्व पीएम देवगौड़ा भी दुख की इस घड़ी में एम एम कृष्णा के परिजनों से मिलने पहुंचे थे.

कैफे कॉफी डे के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ का नाता ऐसे परिवार से रहा है जिसका जुड़ाव कॉफी की खेती की 150 वर्ष पुरानी संस्कृति से है. उनके परिवार के पास कॉफी के बागान थे, जिसमें महंगी कॉफी उगाई जाती थी. यह व्यापार के लिए सहायक हुआ, जो बाद में परिवार के लिए एक सफल व्यापार के रूप में स्थापित हुआ. '90 के दशक में कॉफी मुख्यतः दक्षिण भारत में ही पी जाती थी और इसकी पहुंच पांच सितारा होटल तक ही थी. सिद्धार्थ कॉफी को आम लोगों तक ले जाना चाहते थे. सिद्धार्थ का सपना और परिवार की कॉफी बिजनेस में गहरी समझ ही कैफे कॉफी डे की शुरुआत की वजह बनी.

कैफे कॉफी डे की शुरुआत जुलाई 1996 में बेंगलुरू के ब्रिगेड रोड से हुई. पहली कॉफी शॉप इंटरनेट कैफे के साथ खोली गई. शुरुआती 5 सालों में कुछ कैफे खोलने के बाद सीसीडी आज देश की सबसे बड़ी कॉफी रिटेल चेन बन गई है. इस समय देश के 247 शहरों में सीसीडी के कुल 1,758 कैफे हैं. खास बात यह है कि कंपनी फ्रैंचाइजी मॉडल पर काम नहीं करती और सभी कैफे कंपनी के अपने हैं. कंपनी का मूल्य करीब 3254 करोड़ रुपये है और साल 2017-18 में कंपनी ने 600 मिलियन डॉलर का बिजनेस किया था.

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