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26 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में लगातार 32वें दिन भी अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद पर बहस जारी रही। बहस के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने दो टूक शब्दों में कहा कि 18 अक्टूबर के बाद कोर्ट में कोई बहसबाजी नहीं होगी। दोनों पक्षों को अपने दस्तावेज तथा तर्क 18 अक्टूबर तक रख देने चाहिए।
हिन्दू पक्षकारों की ओर से कहा गया है कि आगले दो दिनों में सभी दस्तावेज और तर्क प्रस्तुत कर दिए जाएंगे। हालांकि मुस्लिम पक्षकारों की ओर से कई मुद्दों पर विस्तृत जवाब देने की बात कही गई, लेकिन सीजेआई गोगोई ने कहा कि यदि बहस में विलम्ब होता है तो फैसला आने का चांस खत्म हो जाएगा। असल में सीजेआई गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में सीजेआई चाहते हैं कि 17 नवम्बर से पहले रामजन्म भूमि विवाद पर फैसला सुना दिया जाए।
चूंकि 17 नवम्बर को रविवार और 16 नवम्बर को शनिवार है, इसलिए माना जा रहा है कि 15 नवम्बर को सीजेआई फैसला दे देंगे। यदि ऐसा होता है तो यह भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन होगा, क्योंकि अयोध्या में राम जन्म के स्थान को लेकर पिछले साढ़े चार सौ वर्षों से हिन्दू मुसलमान आमने सामने हैं और लाखों लोगों का बलिदान हो चुका है। इस पूरे मामले में सुखद पक्ष यह भी है कि हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित भूमि को हिन्दुओं को देने पर सहमति दे दी है। विवादित भूमि पर शिया वक्फ बोर्ड का ही मालिकाना हक माना जाता है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता कमेटी भी दोनों पक्षों में सहमति बनाने के प्रयास कर रही है। 18 अक्टूबर से पहले पहले यह मध्यस्थता कमेटी भी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर देगी। हालांकि कमेटी की गतिविधियों के खबरों पर कोर्ट ने रोक लगा रखी है, लेकिन फिलहाल कमेटी के तीनों सदस्य जस्टिस कलीफुल्ला, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रेणता श्रीश्री रविशंकर तथा एडवोकेट श्रीराम लागू बेहद उत्साहित हैं। केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार भी चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आ जाए।