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EU संसद में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास, भारत ने जताया विरोध, कहा- ये हमारा आंतरिक मसला
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव लाने की रिपोर्टों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. भारत ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा है कि हमारा आंतरिक मामला है. इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन करेंगे और हमारे संपर्क में रहेंगे.
भारत ने यूरोपीय संसद की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) के खिलाफ तैयार किए गए प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है. यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर यूरोपीय संसद में बहस और मतदान होगा. यूरोपियन संसद में 29 जनवरी को प्रस्ताव पेश किया जाएगा, वहीं इस प्रस्ताव पर 30 जनवरी को वोटिंग की जाएगी.
यूरोपीय यूनियन संसद के 751 सांसदों में से 626 सांसद कुल 6 प्रस्ताव नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर के संबंध में लेकर आए हैं. भारत के नागरिकता कानून पर यूरोपीय यूनियन के सांसदों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि इस कानून के जरिए सबसे बड़े स्तर पर लोगों की नागरिकता छीनी जा सकती है, जिसकी वजह से कई लोग राज्यविहीन हो जाएंगे.
भारत ने जताया विरोध?
सांसदों के ड्राफ्टेड प्रस्ताव के जवाब में, भारत सरकार ने कहा है कि नागरिकता कानून भारत के लिए पूरी तरह से आतंरिक मामला है. भारत ने इस कानून को संसद के दोनों सदनों में बहस के बाद अपनाया है. इस पर सार्वजनिक बहस हुई है. इसे लोकतांत्रिक साधनों प्रक्रिया के तहत अस्तित्व में लाया गया है.
भारत सरकार से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि एक लोकतांत्रिक देश होने की वजह से यूरोपीय संघ को भारतीय लोकतंत्र के आंतरिक ममलों में दखल नहीं देना चाहिए. भारत की सरकार एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई है, ऐसे में भारतीय संसद के फैसले के खिलाफ किसी भी प्रस्ताव पर यूरोपीय संसद को कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.
6 समूहों ने नागरिकता कानून पर तैयार किया प्रस्ताव
यूरोपीय संसद में पेश होने वाले 6 प्रस्ताव अलग-अलग राजनीतिक समूहों की ओर से ड्राफ्ट किए गए हैं. इन समूहों में 108 सदस्यों वाला रिन्यू ग्रुप, यूरोपियन कंजर्वेटिव्स एंड रिफॉर्मिस्ट ग्रुप के 66 सदस्य, यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट के 41 सदस्य, यूरोपियन पीपल्स पार्टी ग्रुप के 182 सदस्य, प्रोग्रेसिव एलायंस ऑफ सोशलिस्ट एंड डेमोक्रेटिक ग्रुप के 154 सदस्य और ग्रीन्स/यूरोपियन फ्री एलायंस के 74 सदस्य शामिल हैं. कुल प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्यों की संख्या 625 है. इन्हीं सदस्यों ने मसौदा तैयार किया है.
भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ कुछ जगहों पर प्रदर्शन कर रहा है. दिल्ली के शाहीन बाग में भी नागरिकता कानून के खिलाफ महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. ड्राफ्ट में मोदी सरकार के नागरिकता कानून पर लिए गए फैसले पर सवाल खड़े किए गए हैं, जिसे भारत ने खारिज किया है.