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भारत रत्न से सम्मानित हुए प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया सम्मानित
नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज भारत रत्न सम्मान दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक नानाजी देशमुख और गायक भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यह सम्मान प्रदान किया। मुखर्जी यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले पांचवें राष्ट्रपति हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. जाकिर हुसैन और वीवी गिरि को मिल यह सम्मान मिल चुका है।
20 साल बाद दो से ज्यादा हस्तियों को यह भारत रत्न दिया जा गया। इससे पहले 1999 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, सितारवादक पंडित रविशंकर, अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन और स्वतंत्रता सेनानी रहे गोपीनाथ बोरदोलोई को इस सम्मान के लिए चुना गया था।
भारत रत्न चार साल बाद दिया गया
चार साल बाद भारत रत्न दिया गया। इससे पहले 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को यह सम्मान दिया गया था। इससे पहले 45 हस्तियों को भारत रत्न सम्मान दिया जा चुका है। अब यह संख्या 48 हो गई है।
प्रणब वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री भी रहे
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती में हुआ था। 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया। इसके बाद 1982 में उन्हें कैबिनेट में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। 1984 में राजीव गांधी से मतभेदों के बाद उन्होंने एक नई राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। हालांकि, 1989 में यह पार्टी कांग्रेस में ही शामिल हो गई। इसके बाद पीवी नरसिम्हाराव की सरकार में उन्हें 1991 में योजना आयोग का प्रमुख और 1995 में विदेश मंत्री का कार्यभार दिया गया।
2004 की यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी पहली बार लोकसभा चुनाव जीते। 2004 से 2006 तक उन्होंने रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 2006-09 तक विदेश मंत्रालय और 2009-12 तक उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2012 में कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया। राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने पीए संगमा को हराया। प्रणब 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले करीब 5 दशक तक वह कांग्रेस में रहे थे। पिछले साल उनके नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जाने पर काफी विवाद हुआ था।