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जस्टिस अरुण मिश्रा ने माफी मांगी, जानें- पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने गुरुवार को वकीलों से माफी मांगी। दो दिन पहले जमीन अधिग्रहण से जुड़े एक केस में सुनवाई करते हुए जस्टिस मिश्रा ने वकील गोपाल शंकरनारायण को डांटा था। जस्टिस मिश्रा ने उन्हें कोर्ट की अवमानना के लिए कार्रवाई की धमकी भी दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश खन्ना, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुबह जस्टिस मिश्रा और जस्टिस एमआर शाह की बेंच के सामने यह मामला उठाया। वकीलों ने जस्टिस मिश्रा अपील की कि वे वकीलों के साथ थोड़ा धैर्य बरतें।
वकीलों की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा- युवा वकील इस कोर्ट में आने से डरते हैं। इससे बार के युवा सदस्यों पर असर पड़ता है। वहीं, कपिल सिब्बल और सिंघवी ने कहा कि यह बार और बेंच की जिम्मेदारी है कि हम कोर्ट का डेकोरम कायम रखें और एक-दूसरे को सम्मान दें।
इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने कहा, "अगर किसी को सुनवाई के दौरान मेरी बात से कष्ट पहुंचा हो, तो मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं रही है, यहां तक की मैंने जज के तौर पर अपने 20 साल के करियर में किसी वकील पर अवमानना का मामला नहीं चलाया।"
जस्टिस मिश्रा ने कहा, "मैं ज्यादा समय बार से जुड़ा रहा हूं। मैं मानता हूं कि बार बेंच की मां जैसी होती है। मैं बार की दिल से इज्जत करता हूं। कृपया इस बात की छाप अपने दिमाग पर न पड़ने दें।''
जस्टिस शाह ने जस्टिस मिश्रा का बचाव करते हुए कहा कि सम्मान दोनों तरफ से होना चाहिए। जमीन अधिग्रहण मामलों पर सुनवाई कर रही बेंच ने मंगलवार को जब शंकरनारायण को बहस जारी रखने के लिए बुलाया तो उन्होंने आने से इनकार कर दिया।
जस्टिस मिश्रा ने भी वकीलों के अहंकार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे संस्थान तबाह हो रहा है। कोर्ट को अब ठीक ढंग से संबोधित तक नहीं किया जाता। उस पर हमले किए जा रहे हैं। बार की जिम्मेदारी है कि वह इसमें सुधार करे। उन्होंने बार एसोसिएशन से कहा कि वकील शंकरनारायण उनसे मिलने आएं।