राष्ट्रीय

दुखी होकर कुमार विश्वास बोले, मुझ से ये दर्द सँभाला नहीं जाता मौला

Shiv Kumar Mishra
4 Jun 2020 3:47 AM GMT
दुखी होकर कुमार विश्वास बोले, मुझ से ये दर्द सँभाला नहीं जाता मौला
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I can't breathe...I can't Breathe

मुझ से ये दर्द सँभाला नहीं जाता मौला, पहले भी कहा है फिर कह रहा हूँ कि जब तक हम यूँ ही धर्म-जाति-देश-प्रदेश-दल-आस्था के नाम पर अपने देश के मन-मानस में घृणा-वैमनस्य व हिंसा के बीज रोपतें रहेंगे तब तक ऐसे ही ज़हरीले नवागत पैदा होते रहेंगे ! कौन हैं ये युवक जिन्होंने महादेव की सहधर्मिणी माँ उमा के नाम वाली गर्भवती हथिनी को पटाखे भरा अन्नानास खिला कर उसकी हत्या कर दी ? क्या बिगाड़ा था इस बेहद प्यारे, मनुष्यों के बेज़ुबान साथी ने ?

इतनी घृणित नीचता की इन तथाकथित आदमी के बच्चों ने इस भोली-भूखी माँ के साथ और ज़रा उस महान हथिनी माँ की असली मनुष्यता भी तो देखिए ? वो बेज़ुबान पूरे गाँव से चुपचाप दर्द में कराहती हुई गुजरी पर किसी पर ज़रा सा भी ग़ुस्सा नहीं उतारा ? किसी को घायल नहीं किया ? उसका जबड़ा टूट गया, मुँह उड़ गया, दांत-जीभ गिर गए, गर्भ में साँस ले रहा नन्हा शिशु मर गया पर वो हथिनी पानी में बैठी इन आदमजादों की कमीनगी पर रो-रो कर मर गई ! कैसे ज़हर बुझे भारतीय हैं ये ? इन्होंने क्या पढ़ा है,क्या जाना है, किनके साथ बैठे हैं, क्या सुना है? किस संस्कृति की पैदावार हैं ये लोग ?

अमेरिका में एक जाहिल पुलिस वाले की पत्नी एक अश्वेत व्यक्ति के प्रति उसके निर्मम व्यवहार के कारण उसे उसी वक्त सार्वजनिक तौर पर तलाक दे सकती है तो क्या हम ऐसे नर-पशुओं को ढूँढ-ढूँढकर उनका सार्वजनिक बहिष्कार नहीं कर सकते ? बचो यार, बचो, किसी भी तरह की घृणा फैलाने वाले इन विषबीजों से बचो, ज़िंदगी और सोशल मीडिया से आज ही ब्लॉक करो ऐसे सारे नीचों को .

(चित्र-साभार इंटरनेट, ग्राफ़िक्स-सुनील कौशिक)

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