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Archived
जावड़ेकर कह रहे हैं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आज ऐतहासिक दिन है, क्योंकि किया है ये घटिया काम!
शिव कुमार मिश्र
21 March 2018 1:26 PM GMT
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ऐतहासिक दिन तो आज जरूर है भारत के इतिहास में आज के दिन से याद रखा जाएगा कि इसी दिन मोदी सरकार ने गरीब और पिछड़े लोगो के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया हैं.
भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो सारतत्व थोड़ा बहुत जो बचा रह गया था वह भी आज मोदी सरकार ने आज ठिकाने लगवा दिया है. स्वायत्तता के नाम पर निजीकरण का ये जो खेल खेला जा रहा है उससे गरीब घरो के प्रतिभाशाली बच्चो का अब सिर्फ मुँह ताकते रह जाएंगे सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी के लिए शिक्षा अफोर्डेबल बनाए लेकिन सरकार अफोर्डेबल बनाना तो दूर इसका उल्टा करने को विश्वविद्यालयों को मजबूर कर रही है.
जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में यह व्यवस्था की गयी है कि पिछड़े इलाकों से आने वाले साधारण छात्रों को अलग से अंक दिया जाए ताकि वे महानगरों के छात्रों के साथ बराबरी कर सकें और जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में सिर्फ अमीर और दिल्ली मुंबई के छात्र न पढ़ें बल्कि देवरिया, दुमका, गुमला, समस्तीपुर, बक्सर, नीमच, सीकर, सोलन, पिथौरागढ़ के छात्र भी यहां आ सकें.
जावड़ेकर कह रहे हैं इन संस्थाओं को अब अपने प्रवेश की प्रक्रिया, फीस कें ढांचे और पाठ्यक्रम को तय करने की पूरी स्वायत्तता दे दी है, अब कौन इन पिछड़े इलाके के छात्रों की सुध लेगा ओर कोई इन्हें क्यो जेएनयू में प्रवेश देगा जब वह बढ़ी हुई फीस भी नही चुका पाएंगे ? यह सुधार नही है यह राज्य द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट कर निजीकरण के लिये रास्ता साफ करना है.
शिव कुमार मिश्र
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