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निर्भया रेप: अक्षय ठाकुर ने फांसी के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में दिए अजीब तर्क
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है. इससे पहले विनय मंडोली जेल में बंद था. 2012 में राजधानी में हुए निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. विनय शर्मा के अलावा जो बाकी तीन दोषी हैं वो पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसी बीच एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है।
अक्षय कुमार दाखिल पुनर्विचार अर्जी में कई अजीबोगरीब दलीलें दी हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है? यही नहीं अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल तक जीने का हवाला दिया गया है।
अर्जी में कहा गया है इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे. त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हज़ार साल तक जीता था लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50 से साल तक सीमित रह गई है. तो फिर फांसी की सज़ा देने की ज़रूरत नहीं है।
अक्षय से पहले विनय शर्मा राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका भेज चुका है जो खारिज कर दी गई है। राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद याचिका पर हुए निर्णय को लेकर तिहाड़ प्रशासन को पटियाला कोर्ट जाना होता है। दोषी का ब्लैक वारंट (जिसे डेथ वारंट भी कहते हैं) कोर्ट से जारी होगा।
दया याचिका सिर्फ विनय शर्मा ने लगाई थी। अदालत को तय करना था कि अन्य दोषी अक्षय, पवन, मुकेश दोबारा दया याचिका दे सकेंगे या नहीं? राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वे कब डेथ वारंट निकालते हैं। हालांकि इस बीच अक्षय की पुनर्विचार याचिका से मामला फिर फंस गया है।