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Archived
NRC का पहला मसौदा तैयार, असम में भारी सुरक्षा बल तैनात
शिव कुमार मिश्र
1 Jan 2018 4:22 AM GMT
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असम के नागरिकों का कानूनी दस्तावेजीकरण करने की प्रक्रिया, सरकार ने मध्य रात्रि में बहुप्रतीक्षित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) जारी किया
नए साल के आग़ाज के बीच असम में आधी रात से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला ड्राफ़्ट जारी हो गया है. ये कदम असम में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालने के लिए किया गया है. राज्य सरकार का कहना है कि अवैध रुप से भारत में रहने वाले और रजिस्टर में जगह न पाने वाले विदेशियों को देश से बाहर किया जाएगा. माहौल न बिगड़े इसलिए सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किए गए हैं.
असम में लाखों लोगों को ये साबित करना है कि उनके माता-पिता 1971 में बांग्लादेश बनने से पहले ही असम में आकर रहने लगे थे. इस मुद्दे को लेकर राजनीति होने से ये मामला लगातार विवादों में भी रहा है. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स का ये पहला ड्राफ्ट है. इसे लेकर किसी तरह का तनाव हो इसे देखते हुए असम में केंद्रीय पुलिस बलों के क़रीब पैंतालीस हज़ार जवान तैनात किए गए हैं. सेना को भी ज़रूरत पड़ने पर तैयार रखा गया है. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स के दूसरे ड्राफ्ट में राज्य के बाकी एक करोड़ एक लाख लोगों के नाम होंगे.
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) शैलेश ने रात 11.45 बजे संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बाकी सभी लोगों के नामों का सत्यापन विभिन्न चरणों होगा. आरजीआई ने कहा कि पूरा एनआरसी वर्ष 2018 के भीतर प्रकाशित किया जाएगा. एनआरसी राज्य के नागरिकों की एक सूची है. उन्होंने कहा कि यह एनआरसी मसौदे का केवल एक हिस्सा है. अगर किसी का नाम प्रकाशित किए गए ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया है तो उसे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि "इसका मतलब यह है कि उसका नाम सत्यापन की प्रक्रिया में है."
केंद्र और राज्य सरकार और आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के बीच राज्य में रहने वाले नागरिकों का कानूनी दस्तावेजीकरण करने के मुद्दे को 2005 में एक निर्णय लिया गया था. इसके बाद से असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया चल रही है. असम में 20 वीं सदी की शुरुआत से बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाली आबादी का सामना कर रहा है. यह एक मात्र ऐसा राज्य है जिसमें एनआरसी है, जो कि 1951 में तैयार हुआ था.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया था कि रजिस्टर में नाम शामिल करने के लिए तीन करोड़ 28 लाख लोगों ने आवेदन किया था जिनमें दो करोड़ 24 लाख लोगों के दस्तावेजों के सत्यापन के बाद पहले मसौदा रजिस्टर में उनके नाम शामिल किए गए.
सोनोवाल ने बताया कि ''उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक एनआरसी के दो और मसौदे होंगे और पहले प्रकाशन में जिन वास्तविक नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए, उनके दस्तावेजों के सत्यापन के बाद उन्हें शामिल किया जाएगा.'' सुरक्षा पर आशंका को खारिज करते हुए सोनोवाल ने कहा कि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न होने की आशंका नहीं है क्योंकि जिला प्रशासन जनसभाएं आयोजित कर रहे हैं और लोगों को इस बारे में बताने के लिए अभियान चला रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों तक सही सूचना पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा, ''एनआरसी मसौदा के बारे में गलत सूचना के लिए सोशल मीडिया पर निगाह रखी जाएगी और जो लोग अशांति पैदा करने का प्रयास करेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'' अंतिम मसौदे के जारी करने की तिथि के बारे में पूछने पर सोनोवाल ने कहा, ''असम सरकार एनआरसी को अद्यतन करने की प्रक्रिया में है, उच्चतम न्यायालय के आदेश पर जिला उपायुक्तों के कार्यालयों को सतर्क किया गया... जिन लोगों ने रजिस्टर में शामिल होने के लिए आवेदन किया है, उनके दस्तावेजों के सत्यापन के बाद संपूर्ण मसौदा प्रकाशित किया जाएगा.''
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