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कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौजूदा हालात से लोग डरे सहमे हैं: जमीअत उलेमा-ए-हिन्द
नई दिल्ली।आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलकर खामोशी अख़्तियार करने के एक अर्से के बाद हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सच कहने की ज़रूरत समझी है जिसके लिए वो जानें जातें हैं उनकी खामोशी उनको और उनकी शख़्सियत को सवालिया घेरे में लिए हुए थी जिसके वह हक़दार नहीं थे लेकिन फिर भी एक सवाल था जिसके जवाब की तलाश की जा रही थी कि उन्होंने RSS चीफ़ से मुलाक़ात क्यों की थी जिसका जवाब वह नहीं दे पा रहे थे।
जबकि ये भी सच है कि हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी जैसी शख्सियत शायद ही कोई ग़लत काम करे लेकिन फिर भी इंसान तो इंसान होता है जिसके डगमगाने में देर नहीं लगती उसी डर ने एक सोच को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी भी उसी श्रेणी में तो नहीं शामिल हो गए जिसमें उनका भतीजा महमूद मदनी शामिल हैं। वैसे देखा जाए तो शख़्सियतों में भी फ़र्क़ होता है एक शख़्सियत सिर्फ़ सरकार के लिए होती हैं या यूँ कहें कि सरकार द्वारा ही शख़्सियत बनायी गयी होती है क्योंकि वह उसकी हक़दार ही नहीं होती हैं क्योंकि ज़बान उनकी होती हैं और बात सरकार की होती हैं जिसे वह देश-दुनियाँ में कहते घूमते हैं उन्हें इसी बात का फ़ायदा मिलता है यही वजह होती हैं कि वह शख़्सियतों में शुमार हो जाती है लेकिन हक़ीक़त में वो होती नहीं है ख़ास बात ये है उनकी बातों का अवाम पर कोई असर नहीं पड़ता है।
कम से कम हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी ऐसी शख़्सियतों में से नहीं है कि ज़ुबान उनकी हो और बात दूसरे की हो ज़बान भी उनकी होती है और नज़रिया भी उनका ही होता है जमीअत उलेमा-ए-हिन्द की केंद्रीय कार्यकारी समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुयी जिसमें बड़ी बेबाक़ी से मौजूदा तमाम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई और ये निष्कर्ष निकाला गया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौजूदा परिस्थितियों से लोग डरे और सहमे हुए हैं साथ ही एक अविश्वास की भावना आयी हैं।
वर्तमान में भारतीय संविधान और कानून को समाप्त करते हुए कानूनी न्याय की संवैधानिक परम्परा को खत्म करने की कोशिश हो रही है जिससे कि नया इतिहास लिखा जा सके।बैठक में जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद अरशद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान का विरोध किया जिसमें गृह मंत्री ने गैर मुस्लिम सभी धर्मों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही, हज़रत मौलाना मदनी ने कहा कि अमित शाह के बयान से स्पष्ट हैं की अमित शाह के निशाने पर सिर्फ मुस्लिम हैं और गृह मंत्री की सोच संविधान की धारा 14-15 के विरुद्ध हैं जिसमें सभी धर्मों को उनके धार्मिक भाषा, खानपान, रहन सहन के नाम पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव नही करने की बात कही गई हैं।
अंत में हज़रत मौलाना मदनी ने धारा 370 का जिक्र करते हुए कहा कि मामला कोर्ट में हैं और हमें ये पूर्ण विश्वास है कि कश्मीरियों के साथ न्याय होगा। बाबरी मस्जिद का जिक्र करते हुए कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का पूर्ण विश्वास हैं कि न्यायपालिका का निर्णय आस्था की बुनियाद पर ना होकर सबूतों और कानून की बुनियाद पर होगा और कोर्ट के हर फैसले का जमीयत उलेमा-ए-हिन्द स्वागत करती हैं।