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Citizenship Amendment Bill 2019 : नागरिकता संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति ने किए हस्ताक्षर, जानें बड़ी बातें
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति ने विधेयक पर अपने हस्ताक्षर कर दिए, जिसके बाद नागरिकता संशोधन विधेयक ने कानून का रूप ले लिया है.
राज्यसभा में नागरिकता संसोधन बिल बुधवार को पास हुआ था. इस बिल के पक्ष में 125 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े थे. वहीं, लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े. नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी इस्लामी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम लोगों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी.
पूर्वोत्तर राज्यों में उग्र विरोध प्रदर्शन
इस बीच नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थिति तनावपूर्ण है. गुवाहाटी में देर रात उग्र विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी, जिससे 2 लोगों की मौत हो गई. कई लोग घायल भी हुए हैं.
अडिशनल चीफ सेक्रेटरी कुमार संजय मिश्रा ने बताया कि 10 जिलों (लखीमपुर, तिनसुकिया, धेमाजी, डिब्रूगढ़, कारेडियो, सिवसागर, जोरहाट, गोलाहाट, कामरुप) में मोबाइल सर्विस बंद करने की समय सीमा 48 घंटे और बढ़ा दी है. वहीं, दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी सहयोगी पार्टी आईपीएफटी को भरोसा दिलाया कि मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उनकी चिंताओं का ख्याल रखेगी.
मौजूदा कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल यहां में रहना अनिवार्य था. हालांकि, नए कानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह अवधि घटाकर छह साल कर दी गई है. पहले भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती थी और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने का प्रावधान था, लेकिन अब नए कानून में कहा गया है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता के पात्र हैं.
नागरिकता बिल के खिलाफ मुस्लिम लीग ने दायर की है याचिका
संसद और सड़क पर विरोध के बाद अब इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के चार सांसदों ने गुरुवार को इस बिल के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर इसकी संवैधानिकता पर सवाल खड़े किए. बता दें कि लीग ने पहले ही कहा था कि अगर ये विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है, तो आईयूएमएल इसे कोर्ट में चुनौती देगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल मुस्लिम लीग की ओर से मामले की पैरवी करेंगे.
अदालत जाने की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस इस विधेयक के विरोध में अदालत जाने की तैयारी कर रही है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विधेयक का भारी विरोध करने वाले कपिल सिब्बल से जब पूछा गया कि क्या वह इसे अदालत में चुनौती देंगे तो उन्होंने कहा कि देखेंगे.
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि विधेयक को अदालत में चुनौती देने की संभावना है. पी चिंदबरम ने भी ट्वीट करके विधेयक को अदालत में चुनौती देने के संकेत दिए हैं.