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पूरी कांवड़ यात्रा को खलनायक बनाने वालों का विरोध करें
अवधेश कुमार
कांवड़ियों ने जिस तरह कई जगह हिंसा की वह शर्मनाक है। जो कुछ चैनलों पर दिख रहा है वह सब शिव भक्तों का काम नहीं हो सकता। ऐसे लोगों को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए। तस्वीरों में उनके चेहरे साफ दिख रहे है। पुलिस ढूंढकर उनको पकड़े तथा कानून के कठघरे मंें खड़ा करे। आगे भी ऐसा करने वालों के साथ सख्ती बरती जानी चाहिए। मैं कांवड़ यात्रा के दौरान कहीं-कहीं बजते फुहड़ फिल्मी गानों को भी पूरी तरह अधार्मिक कृत्य मानता हूं। इसका भी विरोधी हूं।
किंतु जिस तरह कुछ टीवी चैनल पूरी कांवड़ यात्रा को ही अपराध कर्म बना रहे हैं वह आपत्तिजनक है। इससे मेरे अंदर भी आक्रोश पैदा हुआ तो और लोगों की क्या हालत होगी यह मैं समझ सकता हूं। आज तक का आज का पूरा अपराध कार्यक्रम 11 बजे से 11.23 तक इसी पर केन्द्रित था। क्या यह पत्रकारिता है? पूरी कांवड़ यात्रा को जिस तरह चित्रित किया गया, कांवड़ियों के बारे में जो शब्द प्रकट किए गए, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ियों को दी गई सुविधाओं, हवाई सर्वेक्षण के दौरान एक जिले में पुष्प वर्षा का मजाक उड़ाया गया.....वह बिल्कुल गलत है। ऐसा बताया जा रहा था मानो पूरे देश में उच्छृंखल, गुंडा, अपराधी और मानसिक विकृति के शिकार लोग ही कांवड़ यात्रा करते हैं और पूरे एक महीना तक कानून को ठंेगा दिखाते रहते हैं। इनके अनुसार हर जगह प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है। एंकर का नाम नहीं लूंगा, क्योंकि कुछ लोग फिर इसे दूसरा रंग देने लगेंगे। वे प्रश्न कर रहे थे कि आखिर ये कांवड़िये हैं कौन जो एक महीने तक पूरे देश को अपनी उंगलियों पर रखते हैं?
इसका प्रतिकार होना चाहिए। हां, प्रतिकार अहिंसक और शालीनता भरा हो। उसमें हिंसा और अपशब्दों तथा अशालीन व्यवहार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
हमारे धर्म में सावन महीने में शिव की उपासना का प्रावधान है। इसके अनेक तरीके हैं। कांवड़ से जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाना उसका एक प्रकार है। इसमें लाखांें लोग पूरे पवित्र भाव से, सात्विक आहार-विहार में रहते हुए यह यात्रा भक्ति में लीन होकर करते हैं। वे पहले से इसकी तैयारी आरंभ करते हैं। उच्छृंखल तत्वों को उंगली पर भी गिनने लायक नहीं होंगे। उनकी आलोचना करने में महत्वपूर्ण धार्मिक कर्मकांड को कलंक साबित करने वाले ये कौन हैं? इनको यह अधिकार किसने दिया? कानून भी इस तरह किसी धार्मिक कृत्य का विकृतिकरण की अनुमति नहीं देता।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है ये उनके निजी विचार)