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ये सत्य है कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया पर कहां पैदा हुए इसका कोई साक्ष्य नहीं हैः मुस्लिम पक्ष

Special Coverage News
17 Sep 2019 11:36 AM GMT
ये सत्य है कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया पर कहां पैदा हुए इसका कोई साक्ष्य नहीं हैः मुस्लिम पक्ष
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अयोध्या मामले की सुनवाई का मंगलवार को 25वां दिन है.

अयोध्या मामले की सुनवाई का मंगलवार को 25वां दिन है. मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं. राजीव धवन एक बार फिर राम जन्म स्थान को "न्यायिक व्यक्ति" का दर्जा देकर उनकी ओर से केस दायर करने पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने कहा, इससे कोई इनकार नहीं कर रहा है कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया है, लेकिन ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं जिसके जरिये ये साबित हो सके कि किस खास जगह पर श्रीराम ने जन्म लिया. कम से कम अयोध्या में तीन ऐसी जगह है, जहां पर श्रीराम के अवतरण का दावा किया गया है.

राजीव धवन ने कहा कि सिर्फ शिया ही नहीं, वो भी श्रीराम को वंदनीय मानते हैं. धवन ने श्रीराम को लेकर मशहूर शायर इकाबाल का ये शेर पढ़ा-

राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज

अहल-ए-नजर समझते हैं उसको इमाम-ए-हिंद

(यानी श्रीराम के अस्तित्व पर हिंदुस्तान को गर्व है. ज्ञानी लोग मानते हैं कि उनका आदर्श सारे हिन्दुस्तान को सच्चाई और नेकी का रास्ता दिखा रहा है.)

उन्होंने आगे कहा, ये बात अलग है कि इकबाल ने बाद में अपना रुख बदल लिया और वो पाकिस्तान का समर्थन करने लगे.

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, बाबरी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पति रही है. बोर्ड का उस पर एकाधिकार रहा है. सिर्फ 1885 के बाद बाबरी मस्जिद के बाहरी हिस्से में मौजूद राम चबूतरे को श्रीराम जन्मस्थान मानकर पूजा होने लगी. धवन ने अपनी दलीलों के समर्थन में कुछ शिया लोगों के बयान का हवाला दिया, जिसके मुताबिक हिंदू और मुस्लिम शांतिपूर्ण तरीके से जगह नमाज और पूजा करते रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, सुन्नी पक्ष का कहना है कि आप श्रीराम के जन्मस्थान को सही जगह बताइये, हम मस्जिद को वहां से शिफ्ट कर लेंगे.

अयोध्या मामले की सुनवाई के 25वें दिन संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी वकीलों से पूछा है कि वो जिरह पूरी करने में कितना वक्त लेंगे. कोर्ट ने पिछले आठ दिन से जिरह कर रहे मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से कहा कि वो अपने सहयोगियों से बात बताए कि कितना वक्त मुस्लिम पक्ष जिरह पूरी करने में लेगा. उसके बाद हिंदू पक्ष उसका जवाब देने में कितना वक्त लेगा.

चीफ जस्टिस ने कहा कि पक्षकारों द्वारा जिरह पूरी करने की समयसीमा बताए जाने पर हम ये तय करेंगे कि हमें फैसला लिखने में कितना वक्त मिलेगा. कोर्ट ने ये सवाल राजीव धवन द्वारा शुक्रवार को जिरह से ब्रेक लेने की दलील के चलते किया. उन्होंने राजीव धवन से कहा- क्या ये नहीं हो सकता है कि शुक्रवार को आप ब्रेक ले और आपकी जगह कोई जिरह करें. हम सबको पता है कि कितना वक्त बचा है?

राजीव धवन ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि मेरी जिरह के बीच किसी और की बहस के चलते जिरह का सिलसिला रुके, क्योंकि हम सब का फिक्स शेडयूल है. जिस स्पीड से जिरह हो रही है, हमें उसका अंदाजा है. हम खुद फैसला चाहते हैं.

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