- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
राम मंदिर भूली बीजेपी को अब आई धारा 370 की याद, जीतने के बाद अटल जी और मोदी क्यों रहे खामोश?
भारतीय जनता पार्टी धीरे धीरे पहली बार अपने किये गए वादे भूलती नजर आती है. बीजेपी के संस्थापक रहे श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर में धारा 370 को लेकर विरोध शुरू किया था. उसके बाद उनका निधन हो गया. यह मुद्दा बीजेपी के मुख्य मुद्दों में से एक रहा. लेकिन समय बदलता गया और बीजेपी बढती गई मुद्दे भी बदलते गये. बीजेपी के घोषणा पत्र में सबसे पहले राम मंदिर और कश्मीर की धारा 370 सबसे बड़े मुद्दे रहे है.
इन दोनों मुद्दों पर आज नहीं बीजेपी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथ यात्रा भी निकाली जिसका नेत्रत्व बीजेपी के बड़े नेता और अटल बिहारी सरकार में रहे उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने किया था. उनके रथ को कांग्रेस साषित कोई राज्य नहीं रोक पाया तब जनता दल के बिहार राज्य के मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव ने उनकी रथ यात्रा को विराम दिलाया था. लिहाजा अब उस यात्रा के बाद बीजेपी के दो बड़े मुद्दे बन चुके थे. कहा गया कि अगर यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो सबसे पहले राम मंदिर बनेगा. जल्द ही बीजेपी की पूर्ण बहुमत की कल्याण सिंह के नेत्रत्व में सरकार बन गई. और बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर को ढहा दिया गया. केंद्र में तब कांग्रेस की पीवी नरसिम्हाराव की सरकार थी.
इसका सबसे बाद फायदा बीजेपी उठाने को आतुर दिख रही थी जबकि कांग्रेस के वो दिन दुर्दिन साबित हुआ और उसका एक थोक वोट बेंक माने जाने वाला मुस्लिम समुदाय को वोट खिसककर नई नवेली पार्टी समाजवादी की और खिसक गया. जबकि हिन्दू वोट बीजेपी के लिए लामबंद होना शुरू हो चूका था. लेकिन मुद्दे वही थे कि अगर अब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो सबसे पहले मंदिर का निर्माण किया जाएगा. उसके बाद एक दिन बीजेपी ने केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बन चुकी थी. लेकिन बहुमत साबित करने के दिन गिर गई अब एक बार देश में मध्यावधि चुनाव की घोषणा की गई.
इस चुनाव के बाद देश में बीजेपी के नेत्रत्व में एनडीए ने सरकार बनाई. इसके बाद बीजेपी ने कहा कि अभी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है. औरआगे जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी तो मंदिर का निर्माण जरुर किया जाएगा और कश्मीर से ये धारा भी हटाई जायेगी. उस समय की सरकार में नेशनल कांफ्रेंस इनका सहयोगी दल था. उसी दौरान कश्मीर के नेता के अपहरण के चलते बीजेपी सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को रिहा करके उस नेता को बचाया. उसके बाद पाकिस्तान से कारगिल की लड़ाई हुई जिसे भारत ने जीत लिया. लेकिन न धारा 370 हटी और नहीं राम मंदिर का निर्माण हुआ. इस दौरान बीजेपी में शाइनिंग इंडिया का नारा जोर पकड चुका था और लगा कि पूरा भारत इस नारे के प्रभाव में है. चूँकि कांग्रेस पार लगातार हो रहे हमले और सोनिया गांधी को विदेशी महिला होने का मुख्य मुद्दा जोर पकड चुका था. लिहाजा तत्कालीन बीजेपी की अटल बिहारी सरकार के कर्ता धर्ता प्रमोद महाजन ने छह महीने पाहिले ही चुनाव कराये जाने की बात कह दी और देश में आम चुनाव की घोषणा हो गई.
मुद्दे फिर भी बीजेपी के वही थे जबकि कांग्रेस के मुद्दे भी गरीबी हटाओ का नारा जोर पकड चुका था जो कभी जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा राजीव भी लगाया करते थे. बीजेपी ने फिर अपना राग अलापा और मंदिर बनायेंगे और कश्मीर से धारा 370 हटायेंगे. देखते ही देखते बीजेपी के शाइनिंग इंडिया के नारे का बुलबुला फूट चुका था. अब देश में कांग्रेस नीति यूपीए की सरकार बनने जा रही थी. सबको लग रहा था कि पीएम अब सोनिया गाँधी बनेगीं लेकिन तभी विदेशी महिला क मुद्दा भी जोर पकड़ने वाला था कि सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह का नाम घोषित कर दिया और उनके नेत्रत्व में कांग्रेस लगातार दस साल सरकार चलाती रही.
लेकिन इस दौरान उनके की मंत्री भ्रष्टाचार की चपेट में आ चुके थे कई के खिलाफ कार्यवाही की जारही थी तो कुछ को जेल भी भेजा गया. यह शायद किसी पहली सरकार की कार्यवाही थी कि मौजूदा मंत्री जेल भेजे गए. अब देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत तेजी पकड चूका था. दिल्ली में एक नई पार्टी ने जन्म लिया जिसने यह कहकर अपना प्रचार किया कि तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जो कि पन्द्रह साल से इस कुर्सी पर जमी हुई थीं उनके खिलाफ मेरे पास सारे सबूत इकठ्ठे है और अगर जनता ने साथ दिया तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा. चुनाव हुए लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी जबकि कुछ सीटें कम लेकर आप दो नंबर पर थी लेकिन गेम चेंजर की कमान कांग्रेस के हाथ में थी. आप ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और जल्द ही पुन चुनाव की मंशा से विधानसभा भंग कर दी. अब लोकसभा चुनाव हो रहे थे. जिसकी कमान तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र दमोदर दास मोदी के हाथ में थी.
अब मोदी जी ने राम मंदिर और कश्मीर मुद्दा , भ्रष्टाचार , बेरोजगार , सीमा सुरक्षा समेत कई बातें कही जिन्हें जनता ने हाथों हाथ लिया और बीजेपी को एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार सौंप दी. इसके बाद सरकार ने न तो कश्मीर की धारा 370 हटाई न राम मंदिर की बात की. कहा कि कश्मीर में भी सरकार बनाओ और उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण बहुमत की सरकार दो तो मन्दिर बनेगा. जनता ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार दी. जबकि उससे पहले बीजेपी ने धारा 370 की सबसे प्रबल विरोधी महबूबा मुफ़्ती की पार्टी के साथ बेमेल निकाह कर जम्मू कश्मीर में भी सरकार बना ली . अब न तो धारा 370 हटी नहीं अयोध्या में राम का मंदिर बना. लेकिन बीजेपी के घोषणा पत्र में आज भी यह मुद्दे प्रमुखता से अपना स्थान बनाये हुए है तो इनसे जनहित के कार्य की क्या उम्मीद करेंगे आप? आप खुद समझदार है जो आपके लिए सरकार काम करे उसे चुनिए. लेकिन आप वोट जरुर करें अन्यथा आप अपना हक खो रहे है.