राष्ट्रीय

सियासी माहौल देख गांधी परिवार के सामने अड़ गए कांग्रेस के ये नेता, नहीं मानी ये बात

Special Coverage News
7 Aug 2019 12:45 PM GMT
सियासी माहौल देख गांधी परिवार के सामने अड़ गए कांग्रेस के ये नेता, नहीं मानी ये बात
x

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने का संकल्प एवं विधेयक संसद में पारित होने के बाद सरकार के इस कदम की कांग्रेस ने निंदा की. इसके बाद कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की मंगलवार को बैठक हुई. जिसमें कांग्रेस ने तय किया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ पार्टी खड़ी रहेगी और बीजेपी के 'विभाजनकारी एजेंडे' के खिलाफ लड़ेगी.

हालांकि, अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की लंबी चली बैठक में पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आई. ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह से लेकर जितिन प्रसाद और दीपेंद्र हुड्डा जैसे कांग्रेस पार्टी के उत्तर भारतीय नेताओं ने धारा 370 हटाए जाने के समर्थन में अपने तर्क रखे. इन नेताओं ने कांग्रेस के सियासी संकट को लेकर अपनी चिंता जाहिर की. इसके बावजूद 'गांधी परिवार' मोदी सरकार के द्वारा हटाए गए 370 फैसले के खिलाफ एकमत है.

सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद जितिन प्रसाद ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश का माहौल इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ है. ऐसे में हम इसका विरोध करके देश के सियासी माहौल के खिलाफ जा रहे हैं. जितिन प्रसाद ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ लोगों के पक्ष को कश्मीर में समर्थन मिल रहा है. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि आप केरल और तमिलनाडु के बारे में ऐसा नहीं कह सकते हैं. इस पर जितिन ने कहा कि ठीक है लेकिन मैं यूपी से आता हूं, वहां यही भावना है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य रहे आरपीएन सिंह ने भी धारा 370 के हटाने के विरोध करने के खिलाफ अपना तर्क रखा. आरपीएन ने कहा कि आप कश्मीर पर तकनीकि रूप से सही हो सकते हैं लेकिन जनता के बीच क्या लेकर जाएं और उन्हें क्या जवाब दें? उन्होंने कहा कि धारा 370 को हटाने के फैसले के बाद तकनीकी नहीं सियासी पहलू सामने आए, जिन्हें हमें जनता के बीच लेकर जाना है. इस तरह से आरपीएन का सीधा मानना है कि मौजूदा सियासी मिजाज को देखते हुए हमें इसका विरोध करना राजनीतिक तौर पर महंगा पड़ सकता है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता और हरियाणा के रोहतक से सांसद रहे दीपेंद्र हुड्डा ने कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने का समर्थन किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा था, 'मेरा पहले से ही विचार है कि 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 का कोई औचित्य नहीं है और इसको हटाना चाहिए. ऐसा सिर्फ देश की अखंडता के लिए ही नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर की जनता जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, के हित में भी है.' सीडब्ल्यूसी की बैठक में दीपेंद्र हूडा ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि पुलवामा के बाद मैंने यही कहा था और फिर ताजा ट्वीट किया लेकिन सरकार का तरीका सही नहीं है, ये भी लिखा.

हुड्डा की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी धारा 370 को हटाने और कश्मीर को दो धड़ों में बांटने के फैसले का समर्थन किया था. सिंधिया ने ट्वीट करके कहा था, 'जम्मू कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं. संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता. साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते. लेकिन ये फैसला राष्ट्रहित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं.' मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में सिंधिया ने कहा कि पब्लिक सेंटीमेंट जो कह रहा है, वही मैंने ट्वीट किया. हालांकि सरकार के तरीके से असहमत हूं. हालांकि सिंधिया की बात को गांधी परिवार समेत किसी से कोई समर्थन नहीं मिला.

राहुल गांधी ने सभी नेताओं की बात सुनने के बाद अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि हम सच के साथ हैं लेकिन सिर्फ पब्लिक सेंटीमेंट ही पैमाना नहीं हो सकता. राहुल के हां में हां मिलाते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने धारा 370 पर लोकतंत्र का मजाक बनाया. इस तरह से धारा 370 को हटाए जाने के खिलाफ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी एकमत नजर आईं.

हालांकि कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कुलदीप विश्नोई, दीपेंद्र हुड्डा, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद की बातों को ध्यान में रखते हुए सीडब्ल्यूसी ने बैठक में लाए जा रहे प्रस्ताव में PoK पर अलग से पैराग्राफ जोड़ा. इसके बाद ही ये प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया गया. इसमें साफ किया गया कि कश्मीर ही नहीं PoK भी हमारा है. ये द्विपक्षीय मसला है और इस पर किसी तीसरे की मध्यस्थता नामंजूर है.

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story