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राज्यपाल ने न्यौता देकर बुलाया और फिर हवाईअड्डे से क्यों लौटाया?

Special Coverage News
24 Aug 2019 1:37 PM GMT
राज्यपाल ने न्यौता देकर बुलाया और फिर हवाईअड्डे से क्यों लौटाया?
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के करीब 20 दिनों बाद हालात देखने विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को श्रीनगर के लिए रवाना हुआ। हालांकि एयरपोर्ट से ही इन नेताओं को वापस भेज दिया गया। राहुल गांधी समेत 11 नेताओं के श्रीनगर पहुंचते ही वहां हंगामा शुरू हो गया। बाद में सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इनको वहीं से वापस भेज दिया गया। राहुल के साथ गुलाम नबी आजाद, एनसीपी नेता माजिद मेमन, सीपीआई लीडर डी. राजा के अलावा शरद यादव समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे थे।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को इससे पहले भी दो बार वापस भेजा जा चुका है। विपक्षी नेताओं के दल के श्रीनगर रवाना होने से पहले आजाद ने अपने घर पर मीडिया से बात की। उन्होंने सरकार के कश्मीर पर विपक्षी दलों द्वारा राजनीति करने के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा, 'जिनको राजनीति करनी थी उन्होंने राजनीति कर दी। राज्य के दो टुकड़े कर दिए। हम वहां जाना चाहते हैं ताकि सरकार की मदद कर सकें। विपक्षी नेता भी कानून को समझने और उसका पालन करनेवाले लोग होते हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पैदा हुए हालात का जायजा लेने के लिए राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेता शनिवार को श्रीनगर रवाना हुए थे। जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने उनसे दौरे को टालने की अपील भी की थी। नेताओं के एयरपोर्ट पहुंचने पर जमकर हंगामा हुआ। बाद में प्रशासन ने इन सभी को वापस दिल्ली भेज दिया।

गहलोत बोले, सरकार को खुद विपक्षी नेताओं को भेजना चाहिए था

उधर राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दिए जाने का विरोध करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार को तो विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधि मंडल खुद वहां भेजना चाहिए था, जिससे जनता में उसके फैसलों के प्रति विश्वास बढ़ता। गहलोत ने विधानसभा में कहा, 'इस सरकार को खुद चाहिए था कि वह विपक्षी दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बनाकर भेजती और यह कहती कि जो दावे मीडिया के माध्यम से हम कर रहे हैं, उन दावों में सच्चाई है और आप जाकर देखिए।'

'ऐसा माहौल बनाया गया जैसे सिर्फ सरकार में बैठे लोग देशभक्त हैं'

गहलोत ने कहा कि देश पर किसी संकट की स्थिति में या ऐसे हालात में सत्ता में बैठे लोग ऐसी ही पहल करते हैं जैसा कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विपक्ष के अनेक नेताओं को दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में भेजा था। जम्मू कश्मीर के हालात का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा, 'लगभग 20 दिन हो गए हैं और लोग घरों में बंद हैं। टेलिफोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। किसी एक भी नागरिक को इस प्रकार से बंद करने का अधिकार सरकार को नहीं होता। यह हमारे संविधान के मूलभूत अधिकारों में है।' उन्होंने कहा, 'ऐसा माहौल बनाया गया है कि जैसे वे ही देशभक्त हैं। हम तो देशभक्त हैं ही नहीं। आम जनता को भी गुमराह करने में ये लोग कामयाब हो गए हैं। जनता धीरे-धीरे समझेगी कि सच्चाई क्या है। तब उनकी असलियत सामने आएगी। विजय हमेशा सच्चाई की होती है।'



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