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गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति ही क्यों फहराते हैं तिरंगा?

Shiv Kumar Mishra
25 Jan 2020 5:40 AM GMT
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति ही क्यों फहराते हैं तिरंगा?
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इस गणतंत्र दिवस पर अपने बच्चों को तिरंगे झण्डे के बारे में विशेष तौर पर बताइये. साथ ही ये भी बताइये कि गणतंत्र दिवस क्यों देश का सबसे बड़ा पर्व है?

लखनऊ. एक बार फिर से हम गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाने जा रहे हैं. गणतंत्र दिवस पर झण्डा फहराने के साथ हम गर्व तो महसूस करते ही हैं लेकिन, इस बार अपने बच्चों को इसके बारे में विस्तार से बताइये. स्कूल में उनके टीचर तो बताते ही होंगे लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर अपने बच्चों को तिरंगे झण्डे के बारे में विशेष तौर पर बताइये. साथ ही ये भी बताइये कि गणतंत्र दिवस क्यों देश का सबसे बड़ा पर्व है? इन सभी सवालों के जवाब के प्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने जबाब दिए..

हम 15 अगस्त और 26 जनवरी को विशेष तौर पर तिरंगा झण्डा क्यों फहराते हैं?

सुभाष कश्यप- तिरंगा हमारा नेशनल फ्लैग है. देश का प्रतीक है, राष्ट्र का प्रतीक है और सस्वाधीनता का प्रतीक है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को झण्डा फहराने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि इसके जरिये हम ये संदेश देते हैं कि हम संप्रभु राष्ट्र है. संप्रभु राष्ट्र का मतलब ये हुआ कि हम अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं. हमारे उपर किसी दूसरे का कोई नियंत्रण नहीं है. हमारे उपर हमारे संविधान का नियंत्रण है.

झण्डा फहराने का चलन किस देश से हुआ होगा. क्या पहली बार झण्डा फहराने का कोई इतिहास मिलता है?

सुभाष कश्यप- झण्डा फहराने का चलन तो बहुत प्राचीन काल से चला आ रहा है. मैं समझता हूं कि वैदिक समय से ही ये प्रथा चली आ रही है और धर्म के क्षेत्र में, राजनीति के क्षेत्र में और दुनिया में सभी जगह झण्डा फहराने की बहुत प्राचीन परम्परा रही है. इसका कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता कि पहली बार कहां और किस रूप में पहली बार झण्डा फहराया गया हो.

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झण्डा फहराते हैं, ऐसा क्यों है?

सुभाष कश्यप- देखिये, 15 अगस्त 1950 को पूर्ण स्वाधीनता नहीं मिली थी. इस दिन हम डोमिनियन स्टेट थे. ट्रांसफर ऑफ पावर हो रहा था. इसी वजह से 15 अगस्त 1947 के समय लॉर्ड माउंटबेटन गवर्नर जनरल थे. उनके बाद राजाजी गवर्नर जनरल बने. गवर्नर जनरल ब्रिटेन की क्वीन के प्रतिनिधि हुआ करते थे. ये टेक्निकली ब्रिटिश एम्पायर के पार्ट थे. तो ब्रिटिश पार्लियामेण्ट के इण्डियन इण्डिपेंडेंस एक्ट के तहत ट्रांसफर ऑफ पावर हुआ था. लेकिन, इस समय तक हम संप्रभु राष्ट्र नहीं थे. हम 26 जनवरी 1950 को जब संविधान लागू हुआ, तभी हम संप्रभु राष्ट्र बने और तभी हम गणतंत्र बने.

15 अगस्त 1947 को तो कोई राष्ट्रपति था ही नहीं तो उसकी भूमिका का कोई सवाल ही नहीं उठता. इसके पीछे ये भी मंशा रही है कि राष्ट्रपति ही देश का सर्वोच्च पद है और देश के लिए संप्रभुता मिलने जैसी सबसे बड़ी बात 26 जनवरी 1950 को हुई. लिहाजा राष्ट्रपति ही इस दिन झण्डा फहराते हैं क्योंकि इससे पहले तो न राष्ट्रपति थे और ना ही देश संप्रभु था.

झण्डा फहराने को लेकर क्या संविधान में भी कोई जिक्र है?

सुभाश कश्यप- संविधान में जो फण्डामेण्टल ड्यूटी (मूल कर्तव्य) का पार्ट है, उसे बहुत कम लोग जानते हैं. उसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक का ये मौलिक कर्तव्य होगा कि वो संविधान का अनुपालन करे और संविधान द्वारा स्थापित संस्ताओं और आदर्शों का सम्मान करे तथा राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे. इसे मूल कर्तव्यों के चैप्टर के पार्ट 4ए में बकायदा लिखा गया है.

तिरंगा कितना बड़ा या छोटा होना चाहिए और उसकी माप क्या होनी चाहिए?

सुभाष कश्यप- तिरंगे का आकार कुछ भी हो सकता है बड़ा या छोटा लेकिन, उसकी लंबाई और चौड़ाई में एक निश्चित अनुपात होना चाहिए. झण्डे से जुड़े कानून में इस बात का जिक्र है कि तिरंगे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 में होना चाहिए. झण्डा कितना भी बड़ा या कितना भी छोटा हो सकता है. झण्डे को लगाने और उसके उतारने के नियमों के लिए अलग से फ्लैग कोड बनाया गया है.

तो बड़े शान से गणतंत्र दिवस मनाइये और अपने बच्चों को तिरंगे के बारे में भी बताइये.


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