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महिला कमिश्नर ने कहा था, CRPF अफसर ने मेरे साथ किया 8 साल तक रेप, SC ने दिया ऐसा चौकाने वाला जबाब

Special Coverage News
25 Aug 2019 6:38 AM GMT
महिला कमिश्नर ने कहा था, CRPF अफसर ने मेरे साथ किया 8 साल तक रेप, SC ने दिया ऐसा चौकाने वाला जबाब
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अगर महिला यह जानती है कि इस संबंध को किसी अगले मुकाम तक नहीं ले जाया जा सकता, लेकिन फिर भी आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता। ऐसी परिस्थिति में आपसी सहमति से बनाए शारीरिक संबंध को शादी का झूठा वादा कर रेप करना भी नहीं कह सकते।

उक्ताशय की अहम टिप्पणी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की याचिका खारिज कर दी। महिला सेल्स टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने महिला द्वारा सीआरपीएफ में डेप्युटी कमांडेंट के ऊपर लगाए रेप के आरोपों को भी खारिज कर दिया।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, दोंनों 8 साल से अधिक वक्त तक रिलेशनशिप में थे। दोनों इस दौरान कई मौकों पर एक-दूसरे के आवास पर भी रुके, जिससे स्पष्ट है कि यह रिश्ता आपसी सहमति से बना था।

शिकायत करने वाली महिला ने कहा था कि वह सीआरपीएफ के अधिकारी को 1998 से जानती थीं। उसने आरोप लगाया कि 2008 में शादी का वादा कर अधिकारी ने जबरन शारीरिक संबंध बनाए थे। तब से 2016 तक दोनों के बीच संबंध बना रहा और इस दौरान कई-कई दिनों तक दोनों एक-दूसरे के आवास पर भी रुकते थे।

शिकायतकर्ता का कहना है- '2014 में अधिकारी ने महिला की जाति के आधार पर शादी करने में असमर्थता जताई। इसके बाद भी दोनों के बीच 2016 तक संबंध रहे।' इसके बाद 2016 में महिला ने अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई क्योंकि उन्हें उसकी किसी अन्य महिला के साथ सगाई के बारे में सूचना मिली थी।

रिपोट के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि, वादा करना और किन्हीं परिस्थितियों में उसे नहीं निभा पाना, वादा कर धोखा देना नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि, 'अगर शादी का झूठा वादा कर किसी शख्स का इरादा महिला का भरोसा जीतना है। झूठे वादे कर महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने में और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को लेकर गलत धारणा है। झूठा वादा कर धोखा देना वह स्थिति है जिसमें वादा करने वाले शख्स के मन में जुबान देते वक्त उसे निभाने की सिरे से कोई योजना ही न हो।

न्यायालय ने एफआईआर का बीरीकी से अध्य्यन करने के बाद कहा कि 2008 में किया गया शादी का वादा 2016 में पूरा नहीं किया जा सका। सिर्फ इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि शादी का वादा महज शारीरिक संबंध बनाने के लिए था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला शिकायतकर्ता को भी इस बात का पता था कि शादी में कई किस्म की अड़चनें हैं। वह पूरी तरह से परिस्थितियों से अवगत थीं। इसके वाबजूद वह सम्बंध बनाती रही, ऐसा सम्बंध रेप नहीं कहा जा सकता।

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