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राष्ट्रीय
पंचायत का अजीबोगरीब फैसला- आरोपी की बहन के साथ परिवार के सामने ही बलात्कार का सुनाय आदेश
Special Coverage News
27 July 2017 10:01 AM GMT
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पंचायत ने युवक को 16 वर्षीय युवती के साथ उसके परिवार के सामने ही बलात्कार करने का आदेश सुनाया।
पंजाब: पाकिस्तान के एक गांव में पंचायत द्वारा एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया गया है। यहां पंचायत ने एक युवक को 16 वर्षीय युवती के साथ उसके परिवार के सामने ही बलात्कार करने का आदेश सुनाया। घटना पंजाब राज्य की बताई जाती है। पुलिस के अनुसार लड़की के भाई ने युवक की बहन का साथ बलात्कार किया। जिसपर पंचायत ने ये फैसला सुनाया। मामले में मुजफ्फराबाद जिले की पुलिस ने आगे बताया कि घटना जिले के राजपुर गांव की है। मामले में 18 जुलाई (2017) को 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिले के पुलिस अधिकारी अहसान यूनिस ने पीटीआई को बताया, 'उमर वाड्डा की बहन के साथ बलात्कार का फैसला सुनाने वाले पंचायत के मुखिया सहित बीस लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
बता दे कि वाड्डा पर आरोप था कि उसने अशफाक की नाबालिग बहन से बीती 16 जुलाई (2017) को बलात्कार किया। जिसपर पंचायत मुखिया ने फैसला सुनाते हुए अशफाक को वाड्डा की बहन के साथ बलात्कार करने का निर्देश दिया।' यूनिस ने आगे बताया कि घटना के बाद वाड्डा के परिवार वालों ने इंसाफ की मांग की है। घटना के दो दिन बाद परिवार की शिकायत के आधार पर हमने जांच शुरू कर दी है।
हालांकि पीड़ित परिवार ने मामले में सोमवार (24 जुलाई, 2017) तक रिपोर्ट दर्द नहीं कराई। हमनें अलग से अशफाक और 30 अन्य पंचायत सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है। पुलिस अधिकारी अहसान ने आगे कहा कि हर दृष्टिकोण से मामले की जांच की जा रही है। साथ ही वाड्डा के परिवार के दावे की भी जांच की जा रही है जिसमें उन्होंने उसकी बहन के साथ सार्वजनिक तौर पर बलात्कार का आरोप लगाया।
उन्होंने आगे बताया कि मुजफ्फराबाद के स्टेशन हाउस ऑफिसर ने दोनों पक्षों की तरफ से मामले में शिकायत दर्ज की है। दोनों पक्षों ने किसी भी तरह का समझौता करने से और एफआईआर वापस लेने की बात से इंकार किया है। जानकारी के लिए बता दें कि इसी क्षेत्र में साल 2000 में मुख्तारन माई के साथ गांव के ही सरपंच के आदेश पर बलात्कार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष आसमा जहांगीर ने तब इस तरह की घटनाओं पर बताया कि सरकार के ऐसा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है जिसमें इस तरह का घटनाओं का ब्योरा दर्ज किया जाता हो।
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